परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 169 जय हो जय हो ।विद्या सिन्धु अहो ।।आ मेरे हृदय रहो ।चरणों में अपने रख लो |अपनों में अपने रख लो ।आ मेरे हृदय रहो ।विद्या सिन्धु अहो ।।जय हो […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 169 जय हो जय हो ।विद्या सिन्धु अहो ।।आ मेरे हृदय रहो ।चरणों में अपने रख लो |अपनों में अपने रख लो ।आ मेरे हृदय रहो ।विद्या सिन्धु अहो ।।जय हो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 168 तुम्हीं सँजोये सपने हो ।तुम्हीं हमारे अपने हो ।। दया दया कर बरषाओ ।पास बुला लो या आओ ।। स्थापना ।। जल भर ले झारी आया ।रह रह तड़फाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 167 भिजाने वाले शिव ग्राम ।बनाने वाले सब काम ।।हनुमंत भक्त मुझ राम ।गुरु विद्या सिन्धु प्रणाम ।। स्थापना ।। जल झारी लिये ललाम ।थक टिक न बैठने शाम ।।हनुमंत भक्त […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 166 इक साँचा गुरु का द्वारा ।संसार प्रपञ्च पिटारा ।। नहिं कोई और हमारा ।गुरुदेव तिहार सहारा।। स्थापना।। झारी भर लाया जल की ।ओ फिकर विहर लो कल की ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 165 तारण तरण ।मिरे भगवन् ।।आया चरण ।पाने शरण ।। स्थापना ।। लाया उदक ।पाने झलक ।।इक आपकी ।।गुरु आपकी ।। जलं ।। लिये मलयज ।पाने पदरज ।।कुछ आपकी ।गुरु आपकी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 164 लिये बिन तेरा नाम ।न रीते कोई शाम ।।ओ निरीह निष्काम ।गुरुवर तुम्हें प्रणाम ।। स्थापना ।। भर लाये जल कलशे ।रहने न बने कल-से ।।ओ निरीह निष्काम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 163 बिन कारण जो कर रहे,अजनबियन से प्यार ।। बिन कारण जो कर रहे,अजनबियन उपकार ।। बिन कारण जो कर रहे,अजनबियन उस पार । श्री गुरु विद्या वे तिन्हें,वन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 162 जय गुरुदेव गुशाला वाले ।विद्या सागर सन्त निराले ।।पाप भाव विहॅंसाने काले ।आये चरण शरण हम ग्वाले ।। स्थापना ।। जय गुरुदेव गुशाला वाले ।विद्या सागर सन्त निराले ।।पाप […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 161 ‘जि पुजारी नये नये हम ।आ खाली हाथ गये हम ॥सुनते, गुरु विद्या दानी ।कर लो अपने सा ध्यानी ॥ स्थापना ॥ नहिं मिल पाई जल झारी ।दृग् झरना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 160गुरु चरणगुरु चरणगुरु चरणशरद पूरण-अवतरण ।शश-पूरण-शरद ‘वरण’ ।।चल तीरथ विद्या श्रमण ।इक शरण- इक शरण- इक शरण।। स्थापना।। नीर कर, कर कर नमन ।भेंटता आ तर नयन ।। इक अवर […]
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