परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 179 न निराकुल इनसा ।दरिया दिल इंसाँ ।। मसीहा अहिंसा ।सम्पूरो मंशा ।। स्थापना ।। लाये आ चल जल ।अपहरने छल-पल ।।विद्या सागर ओ ।छल सभी विहर लो ।। जलं […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 179 न निराकुल इनसा ।दरिया दिल इंसाँ ।। मसीहा अहिंसा ।सम्पूरो मंशा ।। स्थापना ।। लाये आ चल जल ।अपहरने छल-पल ।।विद्या सागर ओ ।छल सभी विहर लो ।। जलं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 178 निराकुल है रोम रोम ।रहें जपते ओम-ओम ।।सिन्धु विद्या वे मुनीश ।दें आशीष निशि-दीस ।। स्थापना ।। लिये नीर झारिंयाँ ।रहे हार पारिंयाँ ।।गुरु विद्या सिन्धु जी ।दीजे बना साहसी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 177 दो बिगड़ी बना ।ओ महामना ।।बस इक सपना ।गुरु,लो अपना ।। स्थापना।। लाये भर जल ।होने अविचल ।।विद्यासागर ।लो नकल विहर ।। जलं ।। लाये चन्दन ।होने सज्जन ।विद्या सागर।लो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 176 फब रहे हैं गीत पल के ।कब रहे हैं मीत कल के ।।वर्तमाँ-वर्द्धमाँ,कुल मिला के निराकुल ये ।। स्थापना।। इन्हें छूँ न पाये गुमाँ ।यदपि छू ये रहे आसमाँ ।।लिये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 175 खूब समय का जानें जो उपयोग ।जिन्हें रोग से इन्द्रिय विषयन भोग।।चेतन कृति गुरु ज्ञान सिन्धु की एक ।गुरु विद्या वे वन्दन तिन्हें अनेक ।। स्थापना ।। कलशों में भर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 174 रखते जो नित योगों की सँभाल । काटा करें न बैठे हैं जिस डाल ।। गुरुवर वे विद्या सिन्धु महाराज ।आये पल अखीर, रख लेवें लाज ।। स्थापना ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 173 हैं पाबन्द समय के बचपन से ।जिन्हें ‘निराकुल है’ न सुना किनसे ।।नियम लगे नहिं जिन्हें कभी बन्धन ।श्री गुरु विद्या सिन्धु तिन्हें वन्दन ।। स्थापना।। प्रासुक जल के भर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 172 गुरुवर तेरे दीवाने ।आये हैं तुम्हें मनाने ।।दो नजर उठा इक बारी ।जाऊँ मैं बलि-बलि हारी ।। स्थापना ।। लाया जल से झारी भर ।आने बाहर से भीतर ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 171 उलझन घेरे ।घोर अँधेरे ।।भगवन् मेरे ।शरणन तेरे ।।आये भेंटो ।भोर सबेरे ।। स्थापना ।। ले जल झारी ।बना पुजारी ।।भो ! अविकारी ।रहूँ न भारी ।। जलं ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 170 मैं बड़भागी ।मेरी लगन लागी ।।गुरु चरण से ।तन मन वचन से ।। स्थापना ।। अपहर माया ।सुन विरद आया ।।दृग् जल लाया ।हित हिरणा दांया ।। जलं ।। अपहर […]
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