परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 189 हम बच्चों के अरमान ।दिल सच्चों के भगवान् ।। सदलगा ग्राम के सन्त ।नित वन्दन तुम्हें अनन्त ।। स्थापना ।। गुरु जी दो आशीर्वाद । हो जाये पूर्ण मुराद […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 189 हम बच्चों के अरमान ।दिल सच्चों के भगवान् ।। सदलगा ग्राम के सन्त ।नित वन्दन तुम्हें अनन्त ।। स्थापना ।। गुरु जी दो आशीर्वाद । हो जाये पूर्ण मुराद […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 188 निराकुलता जिनका वाना ।जिन्हें कम ही बाहर आना ।।चाँद वे शरद पूर्ण मासी ।करें शुद्धात्म निलय वासी ।। स्थापना।। नीर ले आये हाथों में । पीर ला दे, जल […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 187तू ही तुहीं इक निराकुल है । मंजिल तुहीं मिरा साहिल है ।।क्या है नहीं, है तू सब मिरा । यहाँ तक कि, है तुहीं शिव मिरा ।। स्थापना।। भरी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 186 मंगलकर अमंगलहार ।मंशा पूर्ण इक दरबार ।।तिहु-जग एक रखवाले ।बाबा सदलगा वाले ।।स्थापनम्।। कंचन झार, प्रासुक नीर ।भेंटूॅं, हेत भव-जल तीर ।।घन-जग बिजुरि उजियारे ।बाबा सदलगा वाले ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 185 वही जो सबसे प्यारे ।वही जो जग से न्यारे ।। कौन वह बतला भी दो ।छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना।। इन्हें गुस्सा न आता ।छू न अभिमान पाता ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 184 होता पलक भी,झलक तेरी पाना।खुशी का मेरी,न रहता ठिकाना ।। स्थापना ।। छाँव ‘तर’ सर और छाते ।सदा मिलते मुस्कुराते ।।नीर लेके शरण आया ।रहें यूँ ही छत्र छाया ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 183 जन जिन्हें निराकुल कहते हैं ।मुस्कान बाँटते रहते हैं ।।माँ श्रीमति मल्लप्पा नन्दन ।शत सतत तिन्हें सविनय वन्दन ।। स्थापना ।। लाये घट प्रासुक जल भर के।नहिं निलय बने किस-किस […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 182 निराकुल निरुपम ।तम-विहर, हर-गम ।।सुत वे गुरु ज्ञान ।दें अदम भर दम ।। स्थापना।। ‘जि-लाय’ नीर हम ।सताय पीर गम ।।सुत ओ गुरु ज्ञान ।हर लो हर सितम ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 181 निराकुल तुम्हीं ।यमी संयमी ।। सिन्धु ज्ञान सुत ।आठवीं दो जमीं ।। स्थापना।। भरे जल घड़े ।लिये दर खड़े ।।सिन्धु ज्ञान सुत ।मनवा न लड़े ।। जलं ।। लिये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 180 निराकुलता से नेह इन्हें ।निराकुल रहना गेह इन्हें ।।सिन्धु विद्या छोटे बाबा ।हरो छल-छिद्र वा छलावा ।। स्थापना।। नीर से भर लाये झारी ।तुम्हीं से बनने अविकारी ।।सिन्धु विद्या छोटे […]
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