परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 199 तुम बड़े प्यारे हो गुरु जी ।जगत् से न्यारे हो गुरु जी ।।द्वार नहिं आ पाया जो तो ।आ गये द्वारे लो गुरु जी ।। स्थापना ।। दीख ना रही […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 199 तुम बड़े प्यारे हो गुरु जी ।जगत् से न्यारे हो गुरु जी ।।द्वार नहिं आ पाया जो तो ।आ गये द्वारे लो गुरु जी ।। स्थापना ।। दीख ना रही […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 198 आय हैं हम तेरे द्वारे ।हमारे ओ, पालन हारे ।। उलझ कुछ काम गये ऐसे ।बना दो, बन जाये जैसे ।। स्थापना ।। आय हैं हम तेरे द्वारे ।लाय […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 197 भँवर बीच मेरी नैय्या |तुम्हीं हमारे खेवैय्या ।। पार लगा दो कर करुणा ।हमें तिहारी ही शरणा ।। स्थापना ।। लाये हम जल झारी भर ।करने पद-अविकारी कर ।।करुणा-कर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 196 माँ श्री मन्ति मुस्कान वन्दना ।‘दा’ मल्लप्पा अरमान वन्दना ।।गुरु देश-भूषण तारक नयन ।गुरु ज्ञान नन्दन लख लख नमन ।। स्थापना ।। शरद पूर्णिमा इन्दु वन्दना ।खिल वसुन्धरा बन्धु वन्दना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 195 चाँद सितारे ।जन्नत नजारे ।रतन पिटारे ।करिश्मे सारे ।फीके आगे तुम्हारे ।।गुरुवर हमारे ।प्राणों से भी प्यारे ।।मन करता है,तुम्हें देखता ही रहूँ ।। स्थापना ।। कलश भरे जल ।विकल […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 194 जिन्हें निराकुलता से प्रीत ।निराकुलता जिनका संगीत ।।गुरु वे विद्या सिन्धु विनीत ।पल सन्मृत्यु भिंटायें जीता ।। स्थापना ।। भर लाये कलशों में नीर ।सही न जाये अब भव-पीर ।।श्री […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 193 अच्छे सच्चे न्यारे हैं ।बच्चे जिनको प्यारे हैं ।।छोटे बाबा हम सबके ।हम सबको तोहफे रब के ।। स्थापना ।। मेरे छोटे बाबा को,क्या क्या नहीं आता ।सब कुछ आता […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 192 पूजन करने शिशु आये ।सँग-ढ़ोल मजीरा लाये ।। चिर अखिंयाँ मेरी प्यासी ।दे-दो मुस्कान जरा सी ।। स्थापना।। भर नीर नयन लाये हैं ।जल कलश न मिल पाये हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 191 ग्रीषम छैय्या । अहो खिवैय्या ।। लगा तीर दो, मेरी नैय्या ।। स्थापना।। ले जल आये ।बादल छाये ।।दीजो विघटा ।कृपया झट आ ।। जलं ।। मलयज लाये ।करज […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 190 कहाँ इन सा निराकुल पना ।रहे सबको निराकुल बना ।। सिन्धु-विद्या श्रमण दृढ़-मना ।हाथ-थाम लो हहा तम घना ।। स्थापना।। लिये जल से भरी गगरिया ।स्वप्न कब से परी […]
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