परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 229 मन्नत पूरी करने वाले ।जन्नत दूरी हरने वाले ।।दिल नजदीक निवसने वाले ।भर दो जीवन में उजियाले ॥ स्थापना ॥ सारे संकट हरने वाले ।पथ निष्कष्टक करने वाले ॥अपहरने वाले […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 229 मन्नत पूरी करने वाले ।जन्नत दूरी हरने वाले ।।दिल नजदीक निवसने वाले ।भर दो जीवन में उजियाले ॥ स्थापना ॥ सारे संकट हरने वाले ।पथ निष्कष्टक करने वाले ॥अपहरने वाले […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 228 मेरी सुन लो ।मुझको चुन लो ।।दास अपना ।न और सपना ॥ स्थापना ॥ भेंटूँ जल घट ।मेंटो संकट ।।एक शरणा ! करके करुणा ॥ जलं ॥ भेंटूँ चन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 227 चलें निराकुल पंथ । भक्तों के भगवन्त ।। गुरु विद्या निर्ग्रन्थ । वन्दन तिन्हें अनन्त ।। स्थापना ।। लाये उज्ज्वल नीर । पाने भौ-जल-तीर ।। हम सबके भगवान् । दे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 226 गो शाला से प्यार तुम्हें ।गो माता ना भार तुम्हें ।।ओ ! रखवाले गो शाला ।रखें लाज, आये ग्वाला ।। स्थापना।। ओ ! माँ श्री मन्ती लाला ।पय महँगा सस्ती […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 225 जहाँ, निराकुल और नहीं ।यहाँ न गुरुकुल और कहीं ।।वे गुरु ज्ञान चरण वसिया ।लें कर हमें चरण रसिया ।। स्थापना ।। गुरुकुल बड़ा निराला है ।सुकूँ थमाने वाला है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 224 जिन्हें निरखने दृग् तरसें सब की । चलती फिरती जो मूरत रब की ।। गुरु विद्या हम भक्तों के भगवन् । उलझी, दें कृपया सुलझा उलझन।। स्थापना।। चल चरखा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 223 जिन्हें लुभाती रहे निराकुलता ।जिनके दर्शन से सुकून मिलता ।। गुरु विद्या वे माँ श्री मति नन्दन ।अन्तरंग से नन्त तिन्हें वन्दन ।। स्थापना ।। नाता कब बन्ध्या सुत सेहरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 222 करती झूठे वादे है ।दुनिया मतलब साधे है ।।कलि बिन गुरु राई पूजा ।नहिं शरण-सहाई दूजा ।। स्थापना ।। बढ़ बन्दर बाँट रहा है ।नहिं अन्धर हाट कहाँ है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 221 बन्दर बाँट न तुम्हें सुहाये ।जो भी आये, खुश हो जाये ।।दुखिया मैं भी करुणा कीजो ।मुझे दया कर अपना लीजो ।। स्थापना।। समय-सार सब दिया किसी को ।विनय द्वार […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 220 लाज सभी की रख लेते ।काज बना सब के देते ।।वे छोटे बाबा सबके ।रूप दूसरे ही रब के ।। स्थापना ।। रात शरद पूनम वाली ।मनी सदलगा दीवाली ।।वे […]
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