परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 249 मँझधार में, ‘कि करो-कुछ, लागूँ उस पार मैं ।। स्थापना ।। ले कर धार-दृग्, आये द्वार, जल कीजे स्वीकार ।। जलं।। नम नयन आये द्वार, चन्दन कीजे स्वीकार ।। […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 249 मँझधार में, ‘कि करो-कुछ, लागूँ उस पार मैं ।। स्थापना ।। ले कर धार-दृग्, आये द्वार, जल कीजे स्वीकार ।। जलं।। नम नयन आये द्वार, चन्दन कीजे स्वीकार ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 248 तुम्हीं सब हो, यहाँ तक ‘कि मेरे, तम्हीं रब हो ।। स्थापना ।। भेंटूँ जल, ओ ! समाँ जल, कर दो हमें उज्जवल ।। जलं ।। भेंटूँ चन्दन, समाँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 247 क्या चुम्बक पास गुरु जी ।जो आते खिंचे सभी ही ।।क्या वृद्ध जुवाँ क्या बच्चे ।लगते तुम किसे न अच्छे ।। स्थापना ।। मुस्कान आप अलबेली ।दे सुलझा हरिक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 246 एक तारण तरण ।एक अकारण शरण ।।बीच नैय्या भँवर ।खीच, कर दो उधर ।। स्थापना ।। हो सकूं निरालस ।भर नीर के कलश ।। भेंटता चरण में ।लीजिये शरण […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 245 इक मन से, वच से, तन से ।ओ ! ज्ञान-वृद्ध बचपन से ।।गुरु ज्ञान चरण अनुरागी ।दो जोड़ प्रीत सच धन से।। स्थापना।। तुमसे विवेक पा हंसा ।रत निंदा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 244 खूबसूरत हो । शुभ मुहूरत हो ।। तुम हाँ ! हाँ ! हाँ ! तुम । भगवत् मूरत हो ।। स्थापना ।। गुरु ज्ञाना-भरणा । ओ ! तारण-तरणा । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 243 ‘जि तारण तरण । अकारण शरण ।। नजर डाल दो । लगा पार दो ।। स्थापना ।। भरे जल घड़े । लिये दर खड़े ।। नजर डाल दो । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 242 कहर बरपा हा ! पाप का ।कलि सहारा हाँ आपका ।।मेरे सिर पर छाँव कीजे ।गाँव शिर-पुर नाव कीजे ।। स्थापना।। घर घर में, है मधुशाला ।घर घर में, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 241 ओ महा-विद्या-आलय । हो रहा विद्या का लय ।। कृपा-कर जगहा-जगहा । दो-खुला संस्थलि प्रतिभा ।। स्थापना।। लगा इतिहास पलटने । लगे शिक्षक भी बिकने ।। कृपा कर जगहा-जगहा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 240 मिसरी तुम घोलते हो । जुबां जब खोलते हो ।। कला ये दो सिखला भी । साथिया वधु-शिव भावी ।। स्थापना ।। पा नजर जो जाता है । हाँ […]
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