परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 259 हाईकू ‘करुणा कीजो,‘इक दफा ही सही’मुस्कुरा दीजो’ ।।स्थापना।। सप्रेम भेंट जल,कर न सके, कल विकल ।।जलं।। सप्रेम भेंट गन्ध,कर न सके, चपल बंध ।।चन्दनं।। सप्रेम भेंट अछत, सिर चढ़, […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 259 हाईकू ‘करुणा कीजो,‘इक दफा ही सही’मुस्कुरा दीजो’ ।।स्थापना।। सप्रेम भेंट जल,कर न सके, कल विकल ।।जलं।। सप्रेम भेंट गन्ध,कर न सके, चपल बंध ।।चन्दनं।। सप्रेम भेंट अछत, सिर चढ़, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक258 ‘हाईकू’ ‘एक डाल दो नजर, अँधेरा ढा रहा कहर ।।स्थापना।। जल स्वीकार कर लो, ‘भौ-जल नौ’ पार कर दो ।।जलं।। गन्ध स्वीकार कर लो, ‘छू’ सर का भार कर दो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 257 ‘हाईकू’ तब, रुलाया न जब, रूठे सब, शुक्रिया रब ! स्थापना।। भेंटता हूँ मैं, जल, अब न रहूँ था जैसा कल ।।जलं।। भेंटता हूँ मैं, गन्ध, रहूँ न अब […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 254 ==हाईकू== जब हँसे थे सब, हँसाया तब, शुक्रिया रब ! स्थापना।। आये शरण, आप चरण, लाये नीर-नयन ।।जलं।। आये शरण, आप चरण, लाये मलय-धन ।।चन्दनं।। आये शरण, आप चरण, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 255 “हाईकू” ‘मोर बागवाँ !दो छुवा आसमाँन और अरमाँ’ ।। स्थापना।। तीर दें भिंटा,अये मेरे देवता !नीर भेंटता ।। जलं।। द्वन्द्व दें मिटा,अये मेरे देवता !गन्ध भेंटता ।। चन्दनं।। सुध्याँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 256 हाईकू रहनुमादो गुमा,जर्रा न, सारा का सारा गुमाँ ।।स्थापना।। उदक लाये साथ में, मेंटो दुख बात-बात में ।।जलं।। चन्दन लाये साथ में, भेंटो स्वप्न बात-बात में ।।चन्दनं।। अक्षत लाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 253 “हाईकू” तेरा रहमो-करम, जो छू गये आशमाँ हम ! स्थापना।। वीर वर्तमाँ ! भेंटते जल, छिद्र-छल दो गुमा ! जलं ।। वीर वर्तमाँ ! भेंटते चन्दन, दो क्रन्दन गुमा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 252 “हाईकू” पढ़ आईजो खेवटिया, भँवर लिक्खूँ चिठिया ।।स्थापना।। श्रमण राया ! नीर घट लाया, दृग सजल आया ।। जलं।। श्रमण राया ! गन्ध घट लाया, दो आशीषी छाया ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 251 “हाईकू” दो जिता अब, हारे अब तलक बाजी, ओ माँझी ।। स्थापना ।। भेंटते जल झारी, लो बना खुद सा दुख हारी ।।जलं।। झारी चन्दन न्यारी, लो बना खुद-सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 250 झट, दो लगा तट खिवैय्या ! बीच भँवर नैय्या ।। स्थापना।। शरण आया, मेरे भगवन् ! भींगे नयन लाया ।।जलं।। शरण आया, मेरे भगवन् ! घट चन्दन लाया ।।चन्दनं।। […]
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