परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 559 =हाईकू= तूनें क्या एक मुस्कान दी, रोशन हुई जिन्दगी ।।स्थापना।। मोति झिराऊँ मैं, गुरु जी पधारे, जो आज द्वारे ।।जलं।। गंध चढ़ाऊँ मैं, गुरु जी पधारे, जो आज द्वारे […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 559 =हाईकू= तूनें क्या एक मुस्कान दी, रोशन हुई जिन्दगी ।।स्थापना।। मोति झिराऊँ मैं, गुरु जी पधारे, जो आज द्वारे ।।जलं।। गंध चढ़ाऊँ मैं, गुरु जी पधारे, जो आज द्वारे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 558 =हाईकू=भगवन्त हैं,चलते-फिरते श्री गुरु ग्रन्थ हैं ।।स्थापना।। दृग् सजल मैं, कर लो अपने सा वज्र, बल में ।।जलं।। लाया चन्दन मैं, विघटाने भवा-ताप छिन में ।।चन्दनं।। भेंटूँ तण्डुल मैं,आने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 557 =हाईकू=पहले प्रभु के,है गुरु के नाम, मेरा प्रणाम ।।स्थापना।। ‘भक्ति-सर’ न यूँ ही अवगाहूँ, श्री समकित चाहूँ ।।जलं।। ‘भक्ति-सर’ न यूँ ही अवगाहूँ, इति-श्री, मद चाहूँ ।।चन्दनं।। ‘भक्ति-सर’ न […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 556 =हाईकू=बर्षा कृपा,दो जगा-भाग, ए ! सोने-सुहाग ।।स्थापना।। चढ़ाऊँ यूँ ही न मैं उदक, चाहूँ आत्म झलक ।।जलं।। चढ़ाऊँ यूँ ही न मैं चन्दन, चाहूँ शिव-स्पंदन ।।चन्दनं।। चढ़ाऊँ यूँ ही […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 555 =हाईकू=कभी, म्हारे भी, आओ द्वारे,हम भी, भक्त तिहारे ।।स्थापना।। ले दृग् सजल अरदास,दो जन्म जरा मृत्यु विनाश ।।जलं।। लिये चन्दन दूजी सुवास, दो भौ-ताप विनाश ।।चन्दनं।। पद अक्षत प्यास, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 554 =हाईकू=ज्यों होते जाते, ‘गुरु जी’‘पास’ होती जाती एनर्जी ।।स्थापना।। जल चढ़ाऊँ,तेरी कृपा यूँ ही ‘कि आगे भी पाऊँ ।।जलं।। तेरी कृपा ‘कि पाने का हुआ मन,लाया चन्दन ।। चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 553 =हाईकू=रोना न पड़े,दे बना ‘गुरुदेव’ काम बिगड़े ।।स्थापना।। धूलि चरण पाने तेरी,भेंटता जल कलशी ।।जलं।। धूलि चरण पाने तेरी,भेंटता केशर घुरी ।।चन्दनं।। धूलि चरण पाने तेरी, भेंटता अक्षत ढेरी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 552 =हाईकू= सिवाय सन्त, है कौन-बरसाने वाला आनन्द ।।स्थापना।। जल चढ़ाऊँ, छाँव तेरी ‘कि सर अपने पाऊँ ।।जलं।। तेरी छाँव हो सके मोरी, ‘कि भेंटूँ सुगन्ध घोरी ।।चन्दनं।। सर अपने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 551 =हाईकू=इस भक्त का भी,रख लेना ‘गुरु जी’ ध्यान कभी ।।स्थापना।। आया दिल की दूरी मिटाने, लाया जल चढ़ाने ।।जलं।। चन्दन लाया, समीप चरणन,रहने आया ।।चन्दनं।। पद अक्षत आश ले,लाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 550 =हाईकू=स्वयम्-से, ‘आगे देखना चाहें बच्चों को माँएँ खम्-से ।।स्थापना।। ले नीर, छुई चौखट,हो चौपट, ‘कि भव-पीर ।।जलं।। ले गंध, छुई चौखट, हो चौपट, ‘कि कर्म-बंध ।।चन्दनं।। ले धान,छुई चौखट,हो […]
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