परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 669 हाईकूगुरु देवता,‘पानी’ थारी पनाह,दो बता राह ।।स्थापना।। धार की,‘पानी’ मथता न रहूँ ‘कि इस बार भी ।।जलं।। गंध चढ़ाऊॅं,‘चन्दन’ राख हित ‘कि न जलाऊँ ।।चन्दनं।। धां भेंटी,‘साल’ न ले […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 669 हाईकूगुरु देवता,‘पानी’ थारी पनाह,दो बता राह ।।स्थापना।। धार की,‘पानी’ मथता न रहूँ ‘कि इस बार भी ।।जलं।। गंध चढ़ाऊॅं,‘चन्दन’ राख हित ‘कि न जलाऊँ ।।चन्दनं।। धां भेंटी,‘साल’ न ले […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 668 हाईकू की प्रीति लौटा देते श्री-मुनी, कर-के कई गुनी ।।स्थापना।। ले दृष्टि इक अभिलाष, उदक ले आया पास ।।जलं।। ले गुणधन अभिलाष, चन्दन ले आया पास ।।चन्दनं।। ले भक्ति […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 667 हाईकू हल क्या देते हैं, श्री गुरु जी कर हल्का देते हैं ।।स्थापना।। बरसे कृपा तिहार, लाये ‘कि हम अटूट धार ।।जलं।। बरसे कृपा तोर, लाये ‘कि घट चन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 666 हाईकूली एकलव्य की सुन,लो गुरु जी मुझे भी चुन ।।स्थापना।। बनाऊँ तेरी, बने मेरी तस्वीर, भेंटूँ दृग्-नीर ।।जलं।। सुनूँ, क्या चाहे कहना ‘हट’ भेंटूँ चन्दन घट ।।चन्दनं।। भिड़ अपनों […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 665 हाईकूरहे आँसू न मेरे थम, लौटा भी लो ‘ना’ कदम ।।स्थापना।। भर जल से, रहने न कल से, लाये कलशे ।।जलं।। साथ वन्दन, खोने वन-क्रन्दन, लाये चन्दन ।।चन्दनं।। होने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 664 हाईकू बनता म्हारा काम, गुरु जी ! लेते ही थारा नाम ।।स्थापना।। कोई श्रद्धानी न आप सा, सो भेंटूँ जल कलशा ।।जलं।। और स्वाभिमानी न आप सा, सो भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 663 हाईकूयही विनय, आ पधारिजो सूनी वेदी हृदय ।।स्थापना।। भेंटते नीर-घट, विकट त्राहि माम् ‘जि संकट ।।जलं।। भेंटते गन्ध-घट, विकट त्राहि माम् ‘जि झंझट ।।चन्दनं।। भेंटते शाली धाँ थाल, त्राहि […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 662 हाईकूआईजो मेरे भगवन् पधारिजो मंदिर-मन ।।स्थापना।। दे दीजे दुआ संबल, सागर पा जाये ‘कि जल ।।जलं।। लीजे बोल दो बोल, हो अमोल ‘कि चन्दन घोल ।।चन्दनं।। दे दीजे एक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 661 हाईकूकोई जगह, महफूज तो गुरु की गोद वह ।।स्थापना।। द्वारे तिहारे आये,खोने बहाने,दृग्-जल लाये ।।जलं।। द्वारे तिहारे आये,होने सलोने, चंदन लाये ।।चन्दनं।। द्वारे तिहारे आये,दीवाने,दोने धाँ शालि लाये ।।अक्षतं।। द्वारे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 660 ‘जि त्राहि माम् ये हेरा-फेरी, जाँ लेने पे तुली मेरी ।।स्थापना।। आये शरणा स्वामी, ले झारी नीर, मेंटिये पीर ।।जलं।। आये शरणा स्वामी, ले झारी गंध, मेंटिये बंध ।।चन्दनं।। […]
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