परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 719 =हाईकू= गुरु हूबहू माँ, ले गोद में, जो, दें छुवा आसमाँ ।।स्थापना।। यूँ ही, रोज ही, पाने गंधादक, मैं भेंटूँ उदक ।।जलं।। यूँ ही, रोज ही पाने आप दर्शन, […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 719 =हाईकू= गुरु हूबहू माँ, ले गोद में, जो, दें छुवा आसमाँ ।।स्थापना।। यूँ ही, रोज ही, पाने गंधादक, मैं भेंटूँ उदक ।।जलं।। यूँ ही, रोज ही पाने आप दर्शन, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 718 =हाईकू=खबर,रक्खा करते नजर, माँ सी गुरुवर ।।स्थापना।। अ’जि ‘जी’ चुरा पाये तेरा,तोहफा दृग्-जल मेरा ।।जलं।। तुझसे लागी लगन मोरी, भेंटूँ गंध कटोरी ।।चन्दनं।। तेरा नाम ले न थके जुबाँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 717 =हाईकू=श्री गुरु पास, रहती बात, कुछ हटके, खास ।।स्थापना।। भेंटूँ जल, ए ! विगत माया-मिथ्या-निदान शल ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन, गंग-जमुन-दृग् ! ‘कि सुना क्रन्दन ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत, अय ! संरक्षक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 716 “हाईकू”गुरु शगुन हैं, दीवाली का दिन है, फागुन हैं ।।स्थापना।। भेंटूँ दृग् नीर, लघु नन्दन वीर !अय ! गभीर ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन, भंजन भौ-क्रन्दन !ए ! निरंजन ।।चन्दनं।। भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 715 =हाईकू=गुरु उतने खासमखास, लेनी जितनी श्वास ।।स्थापना।। भेंटूँ निर्मल नीर, दृग्-नीर, धीर-वीर-गंभीर ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन धार, निर्जन वन क्रन्दनहार ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत धान, करुणा-दया-क्षमा निधान ।।अक्षतं।। भेंटूँ सुमन थाल,कलि गोपाल […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 714 =हाईकू=उठ न रहा था पलड़ा, ‘जी ‘गुरु’ सो नाम पड़ा ।।स्थापना।। ए ! सुमेर-वत् चारित अविचल, भेंटूँ दृग् जल ।।जलं।। ए ! पाँच पाप हिंसादि निकंदन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। ए […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 713 -हाईकू-पाये रोशनी सितारे, आये हम भी तेरे द्वारे ।।स्थापना।। प्रतिभा…रत संस्कृति संरक्षक, भेंटूँ उदक ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन धार,कर्तृ गृह-गृह श्री-जी जीर्णोद्धार ।।चन्दनं।। कृपाल ! कलि-जुग-गोपाल !भेंटूँ थाल धाँ-शाल ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 712 =हाईकू=छवि माफिक भगवन्तकिसकी सिवाय सन्त ।।स्थापना।। भू-सदलगा उद्धारक,मैं भेंटूँ गंगा उदक ।।जलं।। पून शरद अवतार ! मैं भेंटूँ चन्दन धार ।।चन्दनं।। चर्चित कृति मूक-माटी कर्तार ! भेंटूँ धाँ न्यार […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 711 =हाईकू=डोर शबरी थामी,लो थाम और हमरी स्वामी ।।स्थापना।। दृग् धार छोड़ी, पा कृपा आप बाँस आलाप छेड़ी ।।जलं।। कुंकुम तुम धूली पाँवन,भेंटूँ सो गंध-बावन ।।चन्दनं।। तुमने छुआ ‘अन’ मिश्री […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 710 =हाईकू=करूँ आह्वान मैं कैसे तेरा,जिया छोटा सा मेरा ।।स्थापना।। भावी सिद्धों की श्रेणी में आने,लाये जल चढ़ाने ।।जलं।। जमीं आठवीं निजी बनाने, लाये गंध चढ़ाने ।।चन्दनं।। सिद्ध-शिला पे राज […]
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