परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 910 काजल आँखों का, बह चला कह चला, अब न होता इन्तजार दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार ‘जि गुरु जी ओ ! अपनी इस चन्दना की ‘कि […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 910 काजल आँखों का, बह चला कह चला, अब न होता इन्तजार दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार ‘जि गुरु जी ओ ! अपनी इस चन्दना की ‘कि […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 909 दृग् सजल सजग पल-पल गुरु कुन्द-कुन्द जैसा तू बिलकुल हूबहू कुन्दन जैसा सौ टंच खरा दृग् मन-हरा गुरु कुन्द-कुन्द जैसा ।।स्थापना।। श्रद्धा सुमन समेत आया हूँ मैं लाया हूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 908 हाईकू घर हमारे क्यों आओगे, आपके हैं कौन हम । भले होंठों में दबे वैन हैं, और हैं नैन नम ।। है करे तेरे नाम का सुमरण, ये धड़कन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 907 खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो । रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।। औरों के लिये हरदम, नैन अपने जो रखता नम वो आसमाँ, उसे ये सारी की सारी जमीं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 906 हाईकू है गया भर, शबरी का घर, है हमारा खाली । ए ! राम मेरे, सुब्हो-शाम मेरे ! दो मना दीवाली ।। तुम जो आये ‘ना’, रुठी गौरैय्या है, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 905 =हाईकू= मैं पूछूँ हर रोज, ‘के कहो ? हुआ आहार कैसा । हो पता, किसी रोज, ‘के हुआ तेरा आहार कैसा ।। वो रोज जल्द ही आये, सिर्फ यही […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 904 कुछ तो मदद करो दरद-मन्द तुम हो मेरी मुझे तो मदद करो जुड़ना तुम हो मुझे बिछुड़ना तम से मुझे दरद-मन्द तुम हो मेरी मुझे तो मदद करो ।।स्थापना।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 903 =हाईकू= इधर का भी, भर गया है चौका उधर का भी । मैं भी आपका ही, ‘जि गुरु जी नहीं मैं अजनबी ।।स्थापना।। दृग्-जल चढ़ाऊँ मैं, आभरणों में अपने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 902 बड़े अनमोल गुरु-मुख झिरते बोल अमृत मिसरी घोल बड़े अनमोल गुरु-मुख झिरते बोल ।।स्थापना।। दीखे भव जल तीर सुमरण हाथ अखीर बनता हृदय गभीर क्यों न भेंटूँ गंगा नीर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 901 =हाईकू= इन तन से तेरे पास, मैं कभी-कभी आता हूँ । आये मन को कर कोशिश भी, न लौटा पाता हूँ ।। ये आँसु संग पवन, छू जाते, आ […]
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