परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 920 पड़ते ही श्री गुरु नज़र छू मन्तर कहर बलाओं का बददुवाओं का असर छू मन्तर पड़ते ही श्री गुरु नज़र जय जयतु जय जय गुरुवर ।।स्थापना।। छोड़ते ही धारा […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 920 पड़ते ही श्री गुरु नज़र छू मन्तर कहर बलाओं का बददुवाओं का असर छू मन्तर पड़ते ही श्री गुरु नज़र जय जयतु जय जय गुरुवर ।।स्थापना।। छोड़ते ही धारा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 919 दिल की धक-धक ये झपकन पलक हो शाम, या हो सबेरा नाम लेती रहती है तेरा श्वासों की सरकन नाड़ी की फड़कन ये पलक झपकन नाम लेती रहती है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 918 ले चलो खींचे मुझे लो लगा पीछे मुझे ओ ! अनियत विहारी है राह एक मंजिल हमारी-तुम्हारी ‘रे लम्बा जो सफर हो तो भले होते हैं मुसाफिर दो सुनो, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 917 तू थोड़ा-थोड़ा, अपना मेरा भी जा बन तू थोड़ा-थोड़ा, कर दे मन-मेरा भी पावन आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता चला आ तू थोड़ा-थोड़ा मंदिर से लगा मेरा भी आँगन ।।स्थापना।। यूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 916 मेरे अपनों में आते रहो मेरे सपनों में आते रहो मेरी आरजू यही तुम यूँ ही हमेशा मुस्कुराते रहो ।।स्थापना।। मैं चढ़ाऊँ तुम्हें नीर ‘के लिखते रहो मेरी तकदीर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 915 नजर मै उठाऊँ, और तुम दिख जाओ कदम मैं बढ़ाऊँ, और तुम ठकराओ कभी ऐसा भी हो ‘जि गुरु जी अहो, ‘कि मैं पड़गाऊँ और तुम रुक जाओ ।।स्थापना।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 914 राजी खुशी है मेरी दुनिया न दुखी है है तुम्हारी कृपा, कृपा निधान अय ! मेरे भगवान् कुशल क्षेम है मेरी दुनिया में प्रेम है है तुम्हारी दया, दया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 913 है दीवाना तेरी एक नजर का ‘दिये’ ढ़ाई अखर का ये सारा जमाना है दीवाना ।।स्थापना।। साथ रोमिल पुलक चरणन चढ़ाने उदक चला आता है रोजाना ये सारा जमाना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 912 और न जाया करो कहीं रोज आ जाया करो यहीं है तुम्हारे अपने ही हम गैर, बेगाने, अजनबी नहीं जिस किसी के लिये, न हो चले आँख नम है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 911 उनके यहाँ न जाओ कब कहते हम. इनके यहाँ न जाओ बस कहते हम मेरे यहाँ भी ‘जि गुरु जी, कभी, मेरे यहाँ भी, आ जाओ कब कहते हम. […]
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