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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 49

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 49

प्राणों से भी ज्यादा प्यारे ।
विद्या सागर गुरु हमारे ।।
मिलन हो चला साँचे गुरु से,
आज हमारे वारे-न्यारे ।।स्थापना।।

करता क्या सामायिक ,
चहु दिश डोले मन मेरा ।
कहाँ ठिकाना वचनन तन भी,
परमादन चेरा ॥
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।।जलं ।।

कब पीछे आँखों से,
अँगारे बरसाने में ।
खो विवेक हा ! अपशब्दों के,
तीर चलाने में |
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।।चन्दनं।।

स्वाभिमान मिस ‘जी’ भरके ,
अभिमान किया करता ।
हाय ! आश ले जीवन की,
विष पान किया करता ॥
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। अक्षतं।।

तट उलाँघ के मेरी मनमथ,
सरिता है भागे ।
और दोष दर्शन में हा !
परणति मेरी जागे ।।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।।पुष्पं।।

रहता इस उधेड़ बुन में ,
कैसे ठग लूँ जग को ।
दूजों के अधिकार क्षेत्र,
कैसे रख लूँ पग को।।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। नैवेद्यं।।

हँसी उड़ाने में दूजों की,
हूँ आगे सबसे ।
साँझ आई होने कब रिश्ता,
जोड़ा निज ‘रब’ से ।।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। दीपं।।

बोझ भाँति भासे मुझको,
षट् आवश्यक सारे ।
दृष्टि रहे अधिकारन,
कब कर्त्तव्य लगे प्यारे ।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया ,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। धूपं।।

कहाँ मुखोटा एक लगा के,
घूमा करता हूँ ।
विषयों की हा ! हा ! पी मदिरा,
झूमा करता हूँ ।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। फलं।।

मरणा वीची समय कमर ,
कब-कब बाँधी मैंने ।
मचला ना मन मेरा कब-कब,
उपल नाव खेने ।।
श्री गुरु विद्या सिन्धु दया,
कीजे इतनी मुझपे ।
भूल भुला दीजे मेरी ,
बलि-बलि जाऊँ तुझपे ।। अर्घ्यं।।

“दोहा”
दिवि क्या शिव भी चाहता,
रखना सर जिन ताज |
गुरु विद्या वन्दूँ तिन्हें,
वे भव जलधि जहाज ॥

“जयमाला”
नमो नमः ॐ नमो नमः
विद्या गुरवे नमो नमः
नमो नमः ॐ नमो नमः
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

दिवा स्वप्न खोने से पहले ।
स्वप्न नव सँजोने से पहले ।।
विद्या गुरवे नमो नमः ।
जप लो मन सोने से पहले ।
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

सन्त सदलगा नमो नमः ।
सुत मल्लप्पा नमो नमः ।।
नन्दन श्री मत नमो नमः ।
ज्ञान सिन्ध शिख नमो नमः ।।

नमो नमः ॐ नमो नमः
विद्या गुरवे नमो नमः
नमो नमः ॐ नमो नमः
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

बिस्तर से उठने से पहले ।
दस्तक दे यम, उससे पहले ।।
विद्या गुरवे नमो नमः ।
जप लो कुछ करने से पहले ।
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

कलि गोपाला नमो नमः ।
दीन दयाला नमो नमः ।।
पाछी वायू नमो नमः ।
जाँ पूर्णायू नमो नमः ।।

नमो नमः ॐ नमो नमः
विद्या गुरवे नमो नमः
नमो नमः ॐ नमो नमः
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

दिवा स्वप्न खोने से पहले ।
स्वप्न नव सँजोने से पहले ।।
विद्या गुरवे नमो नमः ।
जप लो मन सोने से पहले ।
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।

छोटे बाबा नमो नमः ।
दिव-शिव नावा नमो नमः ।।
सन्त शिरोमण नमो नमः ।
सावन लोचन नमो नमः ।।

नमो नमः ॐ नमो नमः
विद्या गुरवे नमो नमः
नमो नमः ॐ नमो नमः
सद् गुरु विद्या नमो नमः ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
“दोहा”
सिसक-सिसक-कर कर रहा,
दिल ये करुण पुकार ।
निज सा कर लीजे हमें,
गुरु विद्या इक बार ॥

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