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Uncategorized  ·  मुनि श्री १०८ अजय सागर जी महाराज

गुरू वंदना

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

श्री शांति सूरि मुनिधर्म – प्रकशकाय ,
श्री वर्धमान – मुनिवर्य शुभंकराय ।
मुन्यादिसागर प्रभावक – धर्मनेत्रे ,
त्रैलोक्य – वंद्य गुरूवर्य नमोऽस्तु तुभ्यम् ॥१॥

श्री वीर शासन विभासन बध्दकक्षं ,
शीतांशु – शुभ- यशसा – धवलिकृताशम् ।
कल्याण – वल्लि – जलदं श्रुतसि न्धुवर्यम् ,
सुरिप्रसिध्द – गुरूवर्य नमामि वै त्वाम् ॥२॥

रत्नत्रयं परिदधाति परिदघाति दिगंबरः सन् ,
श्री शांतिसागर – सुवंशलतां प्रसिंचन् ।
यः स्वात्मचिंतनरतो विनतो सुनेता ,
भक्त्या न सन्मतिगुरू प्रणमामि सम्यक् ॥३॥

काले कलौ विषय – भोग- गतस्पृह सन् ,
श्री जैन शासन प्रभावन तत्परो यः ।
सिध्दांत – तर्क – निपुणो – महितो – मनोज्ञो ,
भक्त्या नमामि खलु सन्मति सागरं तम् ॥४॥

तत्वानुचिंतन – परं मुनि – वृत्त लग्नं ,
कारूण्य चित्तभरितं ननु सन्मति तम् ।
श्री वर्धमान- सुयतेश्‍च पदारविन्दान् ,
भक्त्या सदा मुनियुगं प्रणमामि मुक्त्यै ॥५॥

साधु नमामि दुरितं ननु संहरामि ,
साधुं स्मरामि सुगतिं परिवर्धयामि ।
साधु महामि भवतामधिकं जहामि ,
साधुं धरामि ह्रदये शिवतां च यामि ॥६॥

संयम शरणं अंते समाहिमरणं

रात को सोते समय ४ नियम लेना

हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए ४ नियम लेता / लेती हूँ ।

१) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए चारो प्रकार के आहार पानी का त्याग ।

२) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए समस्त प्रकार के आरंभ त्याग का ।

३) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए शरीर (बिस्तर) पर जो परिग्रह है उसके अलावा संसार के समस्त परिग्रह का त्याग ।

४) हे भगवन् सुबह — बजे तक के लिए लघु शंका / दीर्घ शंका / पारिवारिक अस्वस्थता को छोडकर चारो दिशा / विदिशाओं (दसो दिशाओं) में आने जाने का त्याग ।

(नौ बार णमोकार का जाप करें)

टिप- रात्री मरण होगा तो अच्छा, आयु बंध होगा अच्छा,

नही तो ,  यदि ८ घंटे के लिए त्याग किया तो,

महिने में १० उपवास का फल मिलेगा ।

प. पू. श्री १०८ मुनि अजयसागर

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