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आरती

आचार्य श्री आरती-30

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

करें आरतिया आओ ।
दीप की थरिया लाओ ।।

नरक अब पड़े न जाना ।
दिगम्बर ओढ़ा वाना ।।
बन चले पत्थर जैसे,
साक्षि मृग खाज खुजाना ।
थिरक ता थैय्या गाओ ।
दीप की थरिया लाओ ।
करें आरतिया आओ ।।१।।

खड़े चौराहे जाड़े ।
ग्रीष्म चढ़ पर्वत ठाड़े ।।
आन तरु मूल खड़े हैं,
मेघ गरजें जब कारे ।।
हृदय लौं भक्ति जगाओ ।
थिरक ता थैय्या गाओ ।
दीप की थरिया लाओ ।
करें आरतिया आओ ।।२।।

मल पटल पहने गहने ।
निराकुलता क्या कहने ।।
पराई पीर देख सुन,
लगे दृग् झरने बहने ।।
स्वर्ग शिव कदम बढ़ाओ ।।
हृदय लौं भक्ति जगाओ ।
थिरक ता थैय्या गाओ ।
दीप की थरिया लाओ ।
करें आरतिया आओ ।।३।।

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