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कविता

कविता- सात-दिन-साथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

(१)
मैं SUNDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन सण्डे
टू सण्डे,
नाईन सण्डे
फिर ?
फिर क्या, पार
दसवाँ रविवार
टेन सन् कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘डे’ की जगह
जुबान फिसलने से
भगवान् ‘दे’ कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
सारा बोझ
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं SUNDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

(२)
मैं MONDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन मण्डे
टेन मण्डे
फिर ?
फिर क्या, डन
दूसरा मतलब अन
अन-बन मन कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘डे’ की जगह जुबान फिसलने से
भगवान् ‘दे’ कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
सारी अनबन
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं MONDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

(३)
मैं TUESDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन ट्यूस डे
फिर ?
फिर क्या, जादू
मुझे छोटा सा बच्चा जान करके
तोतली बोली में जो बोल पड़ते हैं
और ‘टू’ को
‘तू’ कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘ट्यूस डे’ की जगह
जुबान फिसलने से
भगवान् ‘त्रिदोष दे’ कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
वात-पित्त-कफ रूप त्रिदोष
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं TUESDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

(४)
मैं WEDNESDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन वेडनेस डे
फिर ?
फिर क्या, जादू
मुझे छोटा सा बच्चा जान करके
तोतली बोली में जो बोल पड़ते हैं
और ‘टू’ को
‘तू’ कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘वेडनेस डे’ की जगह
जुबान फिसलने से
भगवान् ‘बैर-द्वेष दे’
कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
सारा बैर-भाव और राग-द्वेष
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं WEDNESDAY के दिन
मंदिर जरूर जाता हूँ

(५)
मैं THURSDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन थर्स डे
फिर ?
फिर क्या, जादू
मुझे छोटा सा बच्चा जान करके
तोतली बोली में जो बोल पड़ते हैं
और ‘टू’ को
‘तू’ कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘थर्स डे’ की जगह
जुबान फिसलने से
भगवान् ‘तैस दे’
कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
सारा तैस मतलब गुस्सा-क्रोध
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं THURSDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

(६)
मैं FRIDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन फ्राय डे
फिर ?
फिर क्या, जादू
मुझे छोटा सा बच्चा जान करके
तोतली बोली में जो बोल पड़ते हैं
और ‘टू’ को
‘तू’ कहते ही
छींक जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो जुबान फिसलने से
भगवान् ‘आय’ दे कह जाते हैं
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
इक अनन्य कारण
भव-वन में फिर-फिर आय
वह जो कषाय
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं FRIDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

(७)
मैं SATURDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ
पता है क्यूँ ?
भगवन् हर-दिन
हमारी हाजरी
यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं
‘के वन सैटर डे
फिर ?
फिर क्या, जादू
मुझे छोटा सा बच्चा जान करके
तोतली बोली में जो बोल पड़ते हैं
और ‘टू’ को
‘तू’ कहते ही
जंभाई जो आ जाती है
भगवान् के लिए
सो ‘शटर डे’ की जगह
जुबान फिसलने से
भगवान् ‘सतुर दे’ कह जाते है
और मैं झट से
अपने अन्तर्-घट से
बाहर निकाल
काम-क्रोध रूप शत्रु
भगवान् के श्री चरणों में चढ़ा आता हूॅं
मैं SATURDAY के दिन
मन्दिर जरूर जाता हूँ

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