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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -348

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
‘री संभल !
जीभ उठाई और तलुवा से मार दी,
ये उलाहना दादी-नानी खूब देती रहती हैं,
क्यों भगवन् !
क्या कहती है वो
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनो,
खुरबखुद कह रहे वच…ना
बत्तीस, बत्तीस गार्ड
ओ माई गाड
थोड़े बहुत ता होगें ही होगें फ्रॉड

एक शब्द सुना होगा आपने
मुँहफट
फटते-फटते मुँह अगले भव में
चिबुक ‘बुक’ में हो जाती है
‘के मुँह इतना फट जाता है
कभी देखना आईने में चिबुक उठाकर के
थोड़ा-सा साइड से अपना चेहरा
बहुत कुछ जानवरों से मिलता जुलता है
बस अन्तर सिर्फ इतना है जहाँ अपनी चिबुक है
उनका वहाँ तलक मुख है
छोटे मुँह से पेट भर सकता
पर अब, पेट कहाँ पेटी जो उनके साथ में
हा ! हाय !
भले साँझ तक भी भरो,
न भरी जाय
क्यों न अच्छा है
इसी भव में मुँहफट बनने से
तौबा करो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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