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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -258

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
जीवन में कातार लग परेशानिंयाँ खड़ी हैं
कैसे निपटूँ कोई मा…रग भिटाईये ना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
आती निखारने जीवन अपना विपत्तिंयाँ
कटीली झाड़िंयों से,
बकरिंयों ने चुन लीं जायकेदार पत्तिंयाँ

करते ही नजर अंदाज
समस्या लेकर सामने आती नये नये अंदाज
डालते हो नजर एक बार
समस्या आप आप होती चित खाने चार

काँटे बेहिसाब आते,
बाद गुलाब,
न खोईये सब्र, न होई ये बेताब

देखो,
काँटे फूँँक-फूँक के
कदम रखना सिख’लाते लाते है
फूल हो रास्ते में,
तो चुभते काँटे

पौधे को मजबूत बनाने आती हैं हवाएं
न ‘कि उखाड़ गिराने
देखा नहीं कनस्तर में
गेहूँ हिल-डुल बनाते रहते हैं
जगह
रह-रह

और जो पर को शान समझते है
वो होते हैं परेशानिंयों से परेशान
आ…
निज‌ को निज,
और पर को पर जान
फिर परेशानिंयों का नदारद नामोनिशान

हकीकत से मुख मत मोड़ो
साहस बटोरो
आलस के कारण गये खो,
जो वह रास्ते खोजो

ओछी सोच ओ…छी
ऊँची सोच अनोखी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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