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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 69

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन-69

पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् । 
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।स्थापना।।

मण कलशे ।
भर जल से ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।जलं।।

घट कंचन ।
घिस चन्दन ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।। चन्दनं।।

खुद माफिक ।
धाँ-शालिक ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।अक्षतं।।

धन ! मंजुल ।
नन्दन गुल ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।पुष्पं।।

दूज अमृत ।
व्यंजन घृत ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।नेवैद्यं।।

संजीवा ।
मण दीवा ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।दीप॑।।

विध पन-पन ।
सुगन्ध अन ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।धूपं।।

दृग् तीते ।
फल मीठे ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।फल॑।।

दिव छव ‘रे ।
द्रव सबरे ।।
लाये, आये हम ।
जय विद्या-सागरम् ।
पीर पराई, कर चाली दृग् नम ।
जय विद्या-सागरम् ।
तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।।
जय विद्या-सागरम् ।।अर्घं।।

=दोहा=
बिन कारण शिव पन्थ जो
सबका रहे सँभाल ।
दे दीक्षा गुरु देव वे,
नर भव करें निहाल ।।

=जयमाला=
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
पल पल मरण समाध शरण ।
सूर ज्ञान गुरु आद किरण ।।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।

कल-जुग इक वैतरण तरण ।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
पल पल मरण समाध शरण ।
सूर ज्ञान गुरु आद किरण ।।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।

अलि, गज, अहि, झष टेव हरण ।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
पल पल मरण समाध शरण ।
सूर ज्ञान गुरु आद किरण ।।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।

पंचानन समशरण हिरण
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
पल पल मरण समाध शरण ।
सूर ज्ञान गुरु आद किरण ।।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।

जिह्व-सहस गुण अगम धरण ।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
पल पल मरण समाध शरण ।
सूर ज्ञान गुरु आद किरण ।।
नमन नमन गुरु-देव चरण ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=दोहा=
बिन माँगे सब कुछ दिया,
क्या माँगूँ गुरु-देव ।
दास बना रखना मुझे,
चरणन पास सदैव ।।

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