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आरती

आरती-अनन्त नाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

अनन्त नाथ
आरती

नन्त भगवन्त आरती ।
जन्म मानव सँवारती ।
पार भव-जल उतारती ।।
सन्त-निर्ग्रन्थ आरती ।।

आओ उतारे आरतिया ।
पहली गरभ की ।
बरसा रतन की ।
सोला सुपन की ।।
नन्त भगवन् की ।
आओ निहारे मूरतिया ।।

आओ उतारे आरतिया ।
दूसरी जनम‌ की ।
श्यामा सुमन की ।
मेरु-न्हवन की ।।
नन्त भगवन् की ।
आओ निहारे मूरतिया ।।

आओ उतारे आरतिया ।
त्याग और तप की ।
कानन गमन की ।
दीक्षा नगन की ।
नन्त भगवन् की ।
आओ निहारे मूरतिया ।।

आओ उतारे आरतिया ।
ज्ञान कल्याण की ।
अर मद हरण की ।
अर सम शरण की ।
नन्त भगवन् की ।
आओ निहारे मूरतिया ।।

आओ उतारे आरतिया ।
अर निर्वाण की ।
ऊरध गमन की ।
निरा’कुल धन ! की ।।
नन्त भगवन् की ।
आओ निहारे मूरतिया ।।

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