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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -97

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं,
आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज,
किसी वस्तु का त्याग करते थे,
तो उसका विकल्प नहीं रखते थे
यानि ‘कि छोड़ी चीज की जगह,
पेट में छोड़ कर रखते थे,
मतलब हर दिन ऊनोदर करके आते थे
आप भी उन्हीं की प्रतिकृति हैं ।
क्यों-करते हैं आप लोग ऐसा ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
भाई
जुड़कर ‘खींच’ से
नमक छोड़
मेहनत कर जी तोड़
पेट का कोन-कोन
भर लिया जब
तब कौन सा कर लिया तप
हा ! कर लिया जरूर लथपथ
आत्मा त्याग रूप अहंकार के कीच से
छोड़ना मीठा यानी,
रसना नाम घोड़ी लगाम लगानी,
न ‘कि खारक, मुनक्का डाल-डाल
दाल गलानी
हाँ… मनाने दीवाली
उतना पेट रखना खाली
ऐसा-वैसा नहीं
त्याग…
…याग
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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