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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -89

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
प्रतिभा मण्डल की दीदिंयाँ,
और हथकरघा की बहिनें,
आपसे खूब समय पाती हैं,
क्या ‘कमाऊ पूत, प्यारो सूद’
वाली कहावत,
अन्तर्-पटल पर अमिट छाप छोड़ चल की है
यदि नहीं तो ऐसा लोगों को क्यों लगता है ।
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
देखो,
कञ्चन किरदार कीमती
मोक्ष मार्ग में,
न ‘कि खनखन कलदार की मती
यूँ ही न पड़ जाते नाम
तदनुरूप होता भी काम
चला आ रहा होगा,
साथ-साथ यश
तभी पड़ा नाम वायस
न सिर्फ स्वयं का लाला
लाल और का भी पाला
यानि ‘कि दो आँख
दो हाथ थे ‘दिये’
जिसने घर स्वपर रोशन किये
उसे तो स्वयं ऊपर वाला समय देता है
मैं तो सिर्फ ऊपर बैठने वालों मे से हूँ
और दुनिया दूनिया तो निराला है
हर किसी की समझ में कब आने वाला है
सो एक कान से सुन,
दूसरे से निकाले
चालें अब न चल बस,
चले चालें,
और मोती आँख पा…लें
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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