loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -65

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं,
आपसे कोई मुसाफिर
जैन मंंदिर की दूरी पूछता था,
तो आप कहते थे
इतने बार महामन्त्र पढ़ लो,
आ जायेंगे मंदिर जी,
और भी तो नाप हो सकते थे भगवन् !
आप वो क्यों नहीं बताते थे ?
इस नाप में ऐसा क्या राज छुपा है कहिए ना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
यह राज जानने वाला
पाँव-पाँव, गाँव नापने वाला
कम पढ़े-लिखे,
पर समझदार ग्रामवासी
‘बस वो रहा’
‘आ ही गया’
‘रह गया जर्रा’
कह मुस्कुरा-मुस्कुरा
सहसा ही,
पार करा देते,
दूरी अच्छी खासी
मैं पढ़ता था श्वासो-श्वास से
मन्त्र नवकार ।
मन्त्र नवकार,
पढ़ प्राय: लोगों को भरने लगते श्वास से
बस यही राज था
जाये नप
नापने ही रास्ता
और इससे दिखता शिखर
था दिला देता माफी
‘के बच्चे ने की, छोटी मोटी ही गुस्ताख़ी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point