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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -33

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मानते है बादाम दाम ज्यादा रखती है,
उसे नहीं लेते न सही,
पर भगवन् ! आम तो यथा नाम तथा गुण हैं ना,
मतलब सीधा सीधा स्वामिन् !
आम लेना तो आजकल आम बात है
कुछ तो सेवा स्वीकारिये प्रभु,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनिए,
यही तो ‘राज’- नीति है
जनता को जनार्दन कहकर
सिर्फ नेता लोग,
सम्बोधित ही करते हैं
“और यह पब्लिक हैं, सब जानती हैं”
आप फलों का राजा है
शक्ल सूरत भी नहीं जिसके पास,
इसने उसे वसंत-दूती इस नाम से नवाजा है
बनने सिर-मौर
हर बार लाती ना…गिन बौंर
सिर्फ नाम है, ‘बादाम’
बादा…म यानि ‘कि नहीं
मतलब वादा निभाता नहीं ये
सिर्फ नाम है, ‘तोता परी’
खाते तो, ताप…री
यानि ‘कि सर्दी खांसी बुखार
सिर्फ नाम है, ‘नीलम’
अखर दूर-दूर पढ़ो तो
नी…ल…म करके छोड़े
और हाफुस भी कहो तो
हा ! लगाये है, एक फुस छुपाये है
हा ! फुसफुस है
चलते-चलते एक नाम और आ रहा है याद
‘दशहरी’
एक ग्रहण करो,
दोष लगे दश-हरी
सो भैय्या !
ऐसे आमों से हो तो
बुन्देलखड़ी लचका, कढ़ी भली
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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