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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी-1

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

जबाब…
लाजवाब.

।।१।।
सवाल
आचार्य भगवन् !
कौन सी मोहन धूल फेकी ।
मेरे भगवन् !
जा करके, किस जादूगर से सीखा,
ये जादू टोना ।
‘के भगवन्,
आप क्या छोड़ सदलगा आये
भैय्या सारे आपके पीछे-पीछे पंक्ति लगा आये

आचार्य भगवन् !
ऐसी क्या, घुट्टी पिलाई ।
मेरे भगवन् ! ऐसी कौन सी, पट्टी पढ़ाई ।
‘के भगवन्,
आप क्या छोड़ सदलगा आये
जी जी आपके पीछे-पीछे लाईन लगा आये

आचार्य भगवन् !
ऐसा कौन सा हाथों में,
दीया थमा दिया ।
मेरे भगवन् !
ऐसा कौन सा दिखा आईना दिया ।

‘के भगवन्,
आप क्या छोड़ सदलगा आये
और तो और बड़े-बुजुर्ग,
माता-पिता आदि सभी
आपके पीछे-पीछे पाँत लगा आये

धन्य है भगवन् !
आपकी जन्म धरा
सार्थक नाम वसुंधरा ।
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब.
सुनिये,
सुनते हैं,
प्रश्न के बाद लगा,
जो प्रश्नवाचक चीन है,
वह बड़ा ही प्रवीन है,
‘के तोते उड़ें,
बस उसे अधर में लटका हुआ,
चन्द्रहास-खड्ग सा मत देखिये,
देखिये लेंस बना करके, उसके अन्दर ।

यदि पूछते हो, क्या मतलब ?
तो मतलब तो सीधा-सादा है,
है और सत्, शिव, सुन्दर
‘के प्रश्न में ही छुपा रहता है उत्तर

और आपने ही कहा,
‘कि आप क्या छोड़ सदलगा आये
भैय्या सारे आपके पीछे-पीछे पंक्ति लगा आये

तो बस मैनें तो बस इतना ही कहा था
‘के पंक…ति(य)
पंक यानि ‘कि कीचड़
और तिय यानि ‘कि स्त्री
इनके चक्कर में बड़े-बड़े हस्ती ही नहीं,
बड़ी-बड़ी हस्ती भी,
फँसती
और बस इतना क्या सुना,
भैय्या सारे मेरे पीछे-पीछे पंक्ति लगा आये

और आपने ही कहा,
‘कि आप क्या छोड़ सदलगा आये
जी जी आपके पीछे लाईन लगा आये
तो सिर्फ मैनें तो सिर्फ इतना ही कहा था
‘के लाई…न
जब हम आते वक्त यहाँ कुछ भी,
और यहाँ से जाते वक्त भी,
कुछ थोड़ा बहुत ले जाई ना
‘रे मन ! तो देख दूर नहीं, होगा यहीं कहीं
आस-पास ही आईना

और बस इतना क्या सुना,
जी जी मेरे पीछे-पीछे लाईन लगा आये

और आपने ही कहा,
‘कि आप क्या छोड़ सदलगा आये
और तो और बड़े-बुजुर्ग,
माता-पिता आदि सभी आपके पीछे-पीछे
पाँत लगा आये

तो केवल मैनें तो केवल इतना ही कहा था
‘के पात पीले झड़ चले
देवों की भी माला,
छह महीने पहले से मुरझा चली,
नाम अमर‌ भले
‘रे पात पीले झड़ चले

और बस इतना क्या सुना,
बड़े-बुजुर्ग,
माता-पिता आदि सभी मेरे पीछे-पीछे
पाँत लगा आये

हा ! हहा ! बड़ा खेद था मुझे,
‘के नाम जो महावीर
मारीच का
‘संस्कार’
मृग मरीचिका
पर वह आसन्न भव्य जीव भी छटपटा रहा है,
पर्याय ‘लॉ…ईन’ पा जाये
वह भी लाईन पर आ जाये
कुछ कर दो ऐसा
मेरे भगवन् !
छोटे बाबा !
अय ! ज्ञान सागर जी गुरु-सा,
और आज उसे भी दीक्षा दे
पूर्ण कर सका, पूर्व जन्मों में किए वादे
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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