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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 1004

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 1004

भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना ।।स्थापना।।

गुरु चरणों में आओ मन
जल कंचन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।जलं।।

गुरु चरणों में आओ मन
घट चन्दन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।चन्दनं।।

गुरु चरणों में आओ मन
अक्षत कण ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।अक्षतं।।

गुरु चरणों में आओ मन
दिव्य सुमन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।पुष्पं।।

गुरु चरणों में आओ मन
घृत व्यंजन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।नैवेद्यं।।

गुरु चरणों में आओ मन
दीप रतन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।दीपं।।

गुरु चरणों में आओ मन
सुगंध अन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।धूपं।।

गुरु चरणों में आओ मन
फल नन्दन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।फलं।।

गुरु चरणों में आओ मन
जल चन्दन ले आओ मन
गुरु भक्ति इक ठिकाना
जो भव सिन्धु पार पाना
भव सिन्धु पार पाना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा ।।अर्घ्यं।।

=कीर्तन=
जपो मन, सुबहो-शाम
गुरु विद्या-सागर नाम
शुरु करने से पहले कोई भी काम
जपो मन, गुरु विद्या-सागर नाम
जपो मन, सुबहो-शाम
गुरु विद्या-सागर नाम

जयमाला
बच्चों की बात मानते
गुरु जी मन पढ़ना जानते
गुरु जी खुद के समान हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं

विरले बागबान हैं
छुवा देते आसमान हैं
गुरु जी, विरले बागबान हैं

काँधे पे बिठा कर
अपने पंजे कुछ उठा कर
छुवा देते आसमान हैं
गुरु जी, विरले बागबान हैं

प्रति रूप भगवान् हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं
बच्चों की बात मानते
गुरु जी मन पढ़ना जानते
गुरु जी खुद के समान हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं

पाछी पवमान हैं
धकाते धकाते,
लेके मंजिल तक चले आते
गुरु जी, पाछी पवमान हैं

प्रति रूप भगवान् हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं
बच्चों की बात मानते
गुरु जी मन पढ़ना जानते
गुरु जी खुद के समान हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं

पूर्व दिनमान हैं
स्याही काला काला,
देर टिकता न अंधियारा
गुरु जी, पूर्व दिनमान हैं

प्रति रूप भगवान् हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं
बच्चों की बात मानते
गुरु जी मन पढ़ना जानते
गुरु जी खुद के समान हैं
दया, क्षमा, करुणा निधान हैं
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
काफ़ी दी गुरु जी एक आवाज,
जो बिगड़े काज

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