loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 974

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 974

“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।स्थापना।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी गंगा जल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा गंगा जल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।जलं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी सगंध जल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा सगंध जल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।चन्दनं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी धाँ उज्ज्वल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा धाँ उज्ज्वल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।अक्षतं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी धवल कँवल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा धवल कँवल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।पुष्पं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी चरु अरु थल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा चरु अरु थल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।नैवेद्यं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी लौं अविचल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा लौं अविचल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।दीपं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी गंध नवल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा गंध नवल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।धूपं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी मिसरी फल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा मिसरी फल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।फलं।।

अब तक चढ़ाया
चढ़ाऊँगा आगे भी द्रव्य सकल
‘जि गुरु जी,
आगे भी, मैं चढ़ाऊँगा द्रव्य सकल
दिखने लगी मुझे जो अपनी मंजिल
मुझे सब कुछ मिल गया है
“मत डर
ये डर
तुझे पायेगा छू ना
मैं हूँ ना”
ऐसा गुरु जी ने जबसे कहा है
मुझे सब कुछ मिल गया है ।।अर्घ्यं।।

कीर्तन
जयतु जयतु, जय जय गुरुवर
जय गुरुवर
जय गुरुवर
जयतु जयतु, जय जय गुरुवर

जयमाला
नीरज हो, क्या माोति भिंटाऊँ
सूरज को क्या ज्योति दिखाऊँ
सन्त शिरोमण ! भगवन् मेरे !
पद-रज तेरी माथ रमाऊँ

अक्षर स्वर अक्षर क्या बाँधूँ
अक्षत क्या अक्षत आराधूँ
सन्त शिरोमण ! भगवन् मेरे !
हित सुमरण तुम सुमरण साधूँ

नीरज हो, क्या माोति भिंटाऊँ
सूरज को क्या ज्योति दिखाऊँ
सन्त शिरोमण ! भगवन् मेरे !
पद-रज तेरी माथ रमाऊँ

जित मन्मथ क्या सुमन चढ़ाऊँ
जगत् जगत क्या भुवन घुमाऊँ
सन्त शिरोमण ! भगवन् मेरे !
ढोल अश्रु जल चरण धुलाऊँ

नीरज हो, क्या माोति भिंटाऊँ
सूरज को क्या ज्योति दिखाऊँ
सन्त शिरोमण ! भगवन् मेरे !
पद-रज तेरी माथ रमाऊँ
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
कुटेव मन की छू
सेव जिन की छू
तिन्हें वन्दूँ

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point