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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 962

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 962

सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।स्थापना।।

आओ आओ चढ़ायें हम
जल कलश स्वर्णिम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।जलं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
माथ मलय कुमकुम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।चन्दनं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
धाँ न अर भुवि खम्
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।अक्षतं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
वन नन्दन कुसुम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।पुष्पं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
चरु चारु मधुरिम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।नैवेद्यं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
दिया बात अगम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।दीपं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
अन सुगंध सुरम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।धूपं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
फल नन्द वन द्रुम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।फलं।।

आओ आओ चढ़ायें हम
दरब सरब, न कम
दृग्-नम
विद्या-सागर
सन्त बड़े अलबेले हैं
सदलगा की माटी में खेले हैं ।।अर्घ्यं।।

कीर्तन
जय-विद्या, जय विद्या-सागर
पाणी-पातर
गुण रत्नाकर
जय-विद्या, जय विद्या-सागर

जयमाला
सदलगा गौरवम्
शरद पूनम जनम
श्री मन्ति नन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

आँसुओं से पखाऊँ मैं तेरे चरण
मेरे-भगवन् मुझे, ले लो अपनी शरण

गुरुवरम् वन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

सदलगा गौरवम्
शरद पूनम जनम
श्री मन्ति नन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

बिना देखे तुझे न चैन पाते नयन
आँसुओं से पखाऊँ मैं तेरे चरण
छोटे बाबा मुझे, ले लो अपनी शरण
मेरे भगवन् मुझे, ले लो अपनी शरण

गुरुवरम् वन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

सदलगा गौरवम्
शरद पूनम जनम
श्री मन्ति नन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

मन तराने तेरे गुनगुनाय रात-दिन
बिना देखे तुझे न चैन पाते नयन
आँसुओं से पखाऊँ मैं तेरे चरण
विद्या गुरुवर मुझे ले लो, अपनी शरण
मेरे भगवन्, मुझे ले लो अपनी शरण

गुरुवरम् वन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्

सदलगा गौरवम्
शरद पूनम जनम
श्री मन्ति नन्दनम्
वन्दनम् वन्दनम्
गुरुवरम् वन्दनम्
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।

हाईकू
तुम और के हो,
रहो…
थे, तुम्हारे रहेंगे हम

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