loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 915

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 915

नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।स्थापना।।

उदक मैं चढ़ाऊँ
झलक तेरी पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।जलं।।

चन्दन मैं चढाऊँ
चरणन जगह पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।चन्दनं।।

तण्डुल मैं चढ़ाऊँ
गुरुकुल तेरा पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।अक्षतं।।

कुसुम मैं चढ़ाऊँ
कुटुम तेरा पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।पुष्पं।।

नेवज मैं चढ़ाऊँ
पद-रज तेरी पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।नैवेद्यं।।

दीपिका मैं चढ़ाऊँ
शिविका तेरी पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।दीपं।।

सुरभि मैं चढ़ाऊँ
सुर’भी’ तेरे पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।धूपं।।

श्री फल मैं चढ़ाऊँ
दृग्-जल खुशी पाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।फलं।।

अरघ मैं चढ़ाऊँ
सुरग घर बनाऊँ
नजर मै उठाऊँ,
और तुम दिख जाओ
कदम मैं बढ़ाऊँ,
और तुम ठकराओ
कभी ऐसा भी हो
‘जि गुरु जी अहो,
‘कि मैं पड़‌गाऊँ
और तुम रुक जाओ ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
पाता आपको न
तो घबड़ा जाता ये आप छोटा

जयमाला
भले तंग करते रहे हम,
कितना भी तुम्हें
कभी बैठे हुये करीब,
न उठाया हमें
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं
किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

शोर कर रहे हम आ करके भोर से
बरसे जा रहे बन बादल घन घोर से
और आप हैं ‘कि झूमें जा रहे
भीतर-भी-भीतर बन मोर से

किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

भले तंग करते रहे हम,
कितना भी तुम्हें
कभी बैठे हुये करीब,
न उठाया हमें
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं
किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

नई न सही
दे दो हमें, पीछी पुरानी ही
नई न सही
हम कहे जा रहे, कुछ जोर से

शोर कर रहे हम आ करके भोर से
बरसे जा रहे बन बादल घन घोर से
और आप हैं ‘कि झूमें जा रहे
भीतर-भी-भीतर बन मोर से

किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

भले तंग करते रहे हम,
कितना भी तुम्हें
कभी बैठे हुये करीब,
न उठाया हमें
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं
किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

क्यूँ न आये
कल जैसे ही
आप आज भी
निकल गये, मेरे दोर से
हम कहे जा रहे, कुछ जोर से

शोर कर रहे हम आ करके भोर से
बरसे जा रहे बन बादल घन घोर से
और आप हैं ‘कि झूमें जा रहे
भीतर-भी-भीतर बन मोर से

किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं

भले तंग करते रहे हम,
कितना भी तुम्हें
कभी बैठे हुये करीब,
न उठाया हमें
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं
किस माटी के बना हो कहो तो सही
‘जि गुरु जी
क्या तुम्हें, लड़‌ना झगड़ना आता ही नहीं
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
गुरु हूबहू सुमन,
हर लेते हर का मन

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point