loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 836

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित


पूजन क्रंमाक 836

गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।स्थापना।।

भर लाया कलशे जल सागर-क्षीर
आप भाँत बन पाने हृदय गभीर
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।जलं।।

भर लाया घट चन्दन महके गंध
आप भाँत बन पाने मन-निष्पन्द
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।चन्दनं।।

भर लाया धाँ शाली थाली सोन
आप भाँत रख पाने भीतर मौन
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।अक्षतं।।

भर लाया वन-नन्दन पुष्प पिटार
आप भाँत विहँसाने मनस् विकार
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।पुष्पं।।

भर लाया पातर चरु चारु अमोल
आप भाँत चुन पाने हित-मित-बोल
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।नैवेद्यं।।

भर लाया घृत दीप माल दृग्-हार
आप भाँत पा पाने माँ-श्रुत पार
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।दीपं।।

भर लाया घट कुछ हट धूप अनूप
आप भाँत लख पाने नित चिद्रूप
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।धूपं।।

भर लाया पल परात अपने भाँत
आप भाँत कर पाने समता हाथ
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।फलं।।

भर लाया वसु द्रव्य थाल रतनार
आप भाँत बन पाने ‘सहजो न्यार
जो जितना जग इनका ही आलोक
गुरु सेवा जिनकी चर्चित तिहुलोक
गुरु विद्या वे तिन्हें हृदय से ढ़ोक ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
आँखों में हया
भर देते गुरु जी
हाथों में दया

जयमाला
हम आये सुन ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

‘जि गुरु जी दो बता ‘ना’
वैसे है किसे पता ‘ना’
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

तभी तो, उस जहां से,
उतारीं इस जहां पे
प्रतिभा स्थालिंयाँ
जहाँ बच्चे,
बाँस-से, हैं बन रहे मुरलियाँ

है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
हम आये सुन ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

‘जि गुरु जी दो बता ‘ना’
वैसे है किसे पता ‘ना’
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

तभी तो, उस जहां से
उतारी’ इस जहाँ पे
प्रतिभा-प्रतिक्षा
जहाँ बच्चे, पा रहे अच्छे, संस्कारों की शिक्षा

है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
हम आये सुन ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

‘जि गुरु जी दो बता ‘ना’
वैसे है किसे पता ‘ना’
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

तभी तो, उस जहां से,
उतारीं इस जहां पे
प्रतिभा स्थालिंयाँ
जहाँ बच्चे,
बाँस-से, हैं बन रहे मुरलियाँ

है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
हम आये सुन ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
है क्या सच ये
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे

‘जि गुरु जी दो बता ‘ना’
वैसे है किसे पता ‘ना’
लगते बड़े अच्छे, आपको बच्चे
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
हुआ वसेरा,
छाँव गुरु पाँव
‘कि हुआ सबेरा

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point