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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 818

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 818

सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।स्थापना।।

‘पय’ रत्नाकर
भर जल गागर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।जलं।।

रस मलयागर
कञ्चन गागर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।चन्दनं।।

अछत गुणाकर
अक्षत धाँ वर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।अक्षतं।।

पिटार भा-धर
अर फुलवा-सर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।पुष्पं।।

अरु जग-जाहर
चरु मनवा-हर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।नैवेद्यं।।

कान्त सुधाकर
ज्योत जगाकर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।दीपं।।

गंध जहां अर
सुगंध आगर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।धूपं।।

महि महि-ना अर
फल महिमा-धर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।फलं।।

द्रव्य सजाकर
मणमय पातर
भेंटूँ सादर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
ज्ञान दिवाकर !
जिन गुण आगर !
जय गुरुवर, जय विद्या सागर
सत् शिव सुन्दर
ज्ञान-समुन्दर
जय गुरुवर, जय विद्या सागर ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
बाहर से,
‘ना…रियल’
भीतर से
गुरु ‘बर’से

जयमाला
मेरे नैन,
थे थके राह तेरी निरखते
दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते
जैसे मेघा-काले
आ मयूरा सुना ले, मेरी व्यथा
है किसे न पता
है सभी को तो खबर
अय ! मेरे गुरुवर

दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते

मेरे नैन,
थे थके राह तेरी निरखते
दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते
जैसे मेघा-काले
आ मयूरा सुना ले, मेरी व्यथा
है किसे न पता
है सभी को तो खबर
अय ! मेरे गुरुवर

आज आ गये,
जो तुम मेरे द्वार
पा गये हैं चैन
ये मेरे नैन,
पा गये हैं करार
आज आ गये,
जो तुम मेरे द्वार

दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते

मेरे नैन,
थे थके राह तेरी निरखते
दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते
जैसे मेघा-काले
आ मयूरा सुना ले, मेरी व्यथा
है किसे न पता
है सभी को तो खबर
अय ! मेरे गुरुवर

घर अपने करा के,
तुम्हें आहार,
पा गये हैं चैन
ये मेरे नैन,
पा गये हैं करार

आज आ गये,
जो तुम मेरे द्वार
घर अपने करा के,
तुम्हें आहार,
पा गये हैं चैन
ये मेरे नैन,
पा गये हैं करार

दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते

मेरे नैन,
थे थके राह तेरी निरखते
दिन रैन,
ये मेरे नैन, थे छलकते
जैसे मेघा-काले
आ मयूरा सुना ले, मेरी व्यथा
है किसे न पता
है सभी को तो खबर
अय ! मेरे गुरुवर
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
प्रार्थना पल-पल,
आँखों से न हो जाना ओझल

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