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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 816

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 816

जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।स्थापना।।

सपना शिव नगरी ।
भेंटो जल गगरी ।
करने हाथ मुकाम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।जलं।।

खोने भव बन्धन ।
भेंटो घट चन्दन ।
हित मन-मृग विश्राम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।चन्दनं।।

मने ‘कि दीवाली ।
भेंटो धाँ शाली ।
हित छव आतम राम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।अक्षतं।।

पाने खुशहाली |
भेंटो फुलबारी ।
हित नन्दन आराम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।पुष्पं।।

साथ ढ़ोल झाँझर ।
भेंटो चरु पातर ।
हेत निराकुल धाम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।नैवेद्यं।।

सुमरण संजीवा ।
भेंटो घृत दीवा ।
हित सहजो अभिराम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।दीपं।।

खाने स्वछन्द पन ।
भेंटो सुगंध अन ।
हित भव चक्र विराम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।धूपं।।

आ साँचे द्वारे ।
भेंटो फल न्यारे ।
बच सकने दुख-धाम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।फलं।।

फबने जग मस्तक ।
भेंटो द्रव अष्टक ।
हित जागृत वस-याम,
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम
सबसे प्यारा है
जब से न्यारा है
शरण सहारा है
विद्या सागर नाम तारण हारा है
जप मन सुबहो शाम
विद्या सागर नाम ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
हो राह न,
‘तो लें’ बना दूजी,
सिंह समाँ गुरु जी

जयमाला
आन पधारे गुरुवर द्वार हमारे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

एक तड़फती मछली को ज्यों,
मिल जाता है पानी ।
लौं जाते मुझ दीपक ने,
पाई त्यों ही जिन्दगानी ।।
शरण सहारे पाकर तुम्हें अहा ‘रे |
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

आन पधारे गुरुवर द्वार हमारे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

रेत भटकती हिरनी को ज्यों,
मिल जाता है पानी ।
आग निगलते मुझ चातक ने,
पाई त्यों जिन्दगानी ।।
तरणि-किनारे, पाकर तुम्हें अहा ‘रे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

आन पधारे गुरुवर द्वार हमारे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

एक बिखरती बदली को ज्यों,
मिल जाता है पानी ।
धारा बहते मुझ बालक ने,
पाई त्यों जिन्दगानी ।।
तारण-हारे पाकर तुम्हें अहा ‘रे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

आन पधारे गुरुवर द्वार हमारे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

एक तड़फती मछली को ज्यों,
मिल जाता है पानी ।
लौं जाते मुझ दीपक ने,
पाई त्यों ही जिन्दगानी ।।
शरण सहारे पाकर तुम्हें अहा ‘रे |
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।

आन पधारे गुरुवर द्वार हमारे ।
आज हमारे, चमके भाग सितारे ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
अजि ! सिर्फिक यही अर्जी,
भूल न जाना गुरु जी

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