loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 789

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 789

कह दो ‘ना’
मुझे अपना
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।स्थापना।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
रतनारी,
जलझारी,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।जलं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
हट कंचन,
घट चन्दन,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।चन्दनं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
आखर कण,
पातर मण,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।अक्षतं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
छव मंजुल,
पिटार गुल,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।पुष्पं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
घृत पकवाँ,
अमृत निधाँ,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।नैवेद्यं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
लग पाँती,
दीवा घी,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।दीपं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
छव कुछ हट,
सुगंध घट,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।धूपं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
नवल नवल,
रित-रित फल
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।फलं।।

नैन भिंगाऊँ मैं,
सरब दरब,
सुर गौरव,
तुम्हें भिंटाऊँ मैं,
स्वप्न इतना
‘के मुझे अपना,
कह दो ‘ना’
मुझे अपना,
मैं तेरा हूँ
है मेरा तू
कह दो ‘ना’ ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
जागें गुरु जी वक्त हर,
छुये तो कैसे फिकर

जयमाला
शरण तेरी पाके,
तेरे चरणों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

नयनो में बसा के,
तुम्हें अपना बना के,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

शरण तेरी पाके,
तेरे चरणों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

तरणी तेरी पाके,
तेरे अपनों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

शरण तेरी पाके,
तेरे चरणों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

नजर तेरी पाके,
तुझे जिगर में बसा के,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

शरण तेरी पाके,
तेरे चरणों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

तुम से लौं लगा के,
तेरे सत्संग में आ के,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी

शरण तेरी पाके,
तेरे चरणों में आके,
वो हाथ आया,
जो था न पाया,
सपनों मे भी कभी,
‘जि गुरु-देव जी
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
होती घड़ी न,
गुरु जी के हाथ में होतीं घड़िंयाँ

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point