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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 778

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 778

है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।स्थापना।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न जल निर्झर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।जलं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न घट सन्दल तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।चन्दनं।। 

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न धाँ अक्षत तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।अक्षतं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न गुल बल्लर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।पुष्पं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न चरु मनहर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।नैवेद्यं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न लौं अविचल तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।दीपं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न सुगंध इतर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।धूपं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न फल तरुवर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।फलं।।

मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ, मैं चढ़ाऊँ,
क्यूं न द्रव पातर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे,
तेरे भक्त के नाम से,
पहचानता है सारा शहर मुझे,
है क्या खबर तुझे ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
करना खूब बातें,
करूॅं क्या ? भर पै आतीं आंखें

जयमाला

पल ढ़ेर सुमरनी साथ बिताये हैं
तब कहीं जा करके पाये हैं
आपका साथ,
‘जि गुरु जी कर लीजियेगा,
पल पलक बात
न और फरियाद

पल ढ़ेर सुमरनी साथ बिताये हैं
तब कहीं जा करके पाये हैं
आपका साथ,
‘जि गुरु जी रख दीजियेगा, सिर पर हाथ
न और फरियाद

पल ढ़ेर सुमरनी साथ बिताये हैं
तब कहीं जा करके पाये हैं
आपका साथ,
‘जि गुरु जी दे दीजियेगा,
मुस्काने सौगात
न और फरियाद

पल ढ़ेर सुमरनी साथ बिताये हैं
तब कहीं जा करके पाये हैं
आपका साथ,
‘जि गुरु जी, बनाये रखियेगा,
कृपा बरसात,
न और फरियाद

पल ढ़ेर सुमरनी साथ बिताये हैं
तब कहीं जा करके पाये हैं
आपका साथ,
‘जि गुरु जी कर लीजियेगा,
पल पलक बात
न और फरियाद

।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू
निहाल कर दो कभी,
आहार ले-के, ये हाथ भी

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