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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 713

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 713

-हाईकू-
पाये रोशनी सितारे,
आये हम भी तेरे द्वारे ।।स्थापना।।

प्रतिभा…रत संस्कृति संरक्षक,
भेंटूँ उदक ।।जलं।।

भेंटूँ चन्दन धार,
कर्तृ गृह-गृह श्री-जी जीर्णोद्धार ।।चन्दनं।।

कृपाल ! कलि-जुग-गोपाल !
भेंटूँ थाल धाँ-शाल ।।अक्षतं।।

मन सुमन सिर-मौर !
मैं भेंटूँ सुमन और ।।पुष्पं।।

भेंटूँ निर्मित घृत पकवाँ,
नाम तथा गुणवाँ ।।नैवेद्यं।।

हंस-अहिंस संस्कृति संरक्षक !
भेंटूँ दीपक ।।दीपं।।

हत-करघा जीवन सतरंग !
भेंटूँ सुगंध ।।धूपं।।

नैन सजल !
जल-भिन्न कमल !
भेंटूँ श्री फल ।।फलं।।

यम नियम संयमाधार !
भेंटूँ अर्घ पिटार ।।अर्घ्यं।।

-हाईकू-
हवा-से,
गुरु जी,
न दिखें,
रहे पै आस-पास ही

।। जयमाला ।।

पलक भी,
पाये बिन इक झलक तेरी,
न पाये धड़कन धड़क मेरी,
‘जि गुरु जी, पलक भी

न जाने ये कैसा रिश्ता है
मन चला आता खिंचता है
चुम्बक सा यहीं
‘जि गुरु जी,

न जाने ये कैसा जादू है
जुदा जिस्म तेरी-मेरी इक रूह है
कह रहा हूँ मैं सही,
‘जि गुरु जी,

न जाने ये कैसा जुनून है
तेरे बिना लगता, ये जहां शून है,
और वो जहां भी,
‘जि गुरु जी,

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
अर्जी,
गुरु जी !,
‘कि आपके नाम की,
आये हिचकी

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