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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 582

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 582

=हाईकू=
देवता !
तुझे मनाना,
क्या करना होगा दे-बता ।।स्थापना।।

ले आये नीर नयन,
पास गंगा-सिन्धु  सुपन ।।जलं।।

ले आये नीर नयन,
अंश नाग-दंश चन्दन ।।चन्दनं।।

ले आये नीर नयन,
नाम बस अक्षत कण ।।अक्षतं।।

ले आये नीर नयन,
दृग्‌-ओझल वन-नंदन ।।पुष्पं।।

ले आये नीर नयन,
गुम कहीं सुर व्यंजन ।।नैवेद्यं।।

ले आये नीर नयन,
खोजा खोया दीप रतन ।।दीपं।।

ले आये नीर नयन,
यही सोने सुगंध धन ।।धूपं।।

ले आये नीर नयन,
मिला दूर तक न वन ।।फलं।।

ले आये नीर नयन,
यही ‘द्रव’ और सघन ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
तू मेरी आँखों का सुकून,
बेदाग-ए-चाँद पून

।। जयमाला।।
चाँद -ए-पूनम शरद,
देखो यूँ-हि तुम शरद
बिन-गिने
‘कि जितने, अनगिने

व्योम-सितारे
मोम-अंगारे
हाँ-हाँ थारे
रोम-हमारे

चाँद -ए-पूनम शरद,
देखो यूँ-हि तुम शरद
बिन-गिने
‘कि जितने, अनगिने

आग-अनल कण
नाग गरल कण
हाँ-हाँ गुरु-जी
सागर जल का

चाँद -ए-पूनम शरद,
देखो यूँ-हि तुम शरद
बिन-गिने
‘कि जितने, अनगिने

पातर केली
द्वार-पहेली
‘जि गुरु जी कण
इतर चमेली

चाँद -ए-पूनम शरद,
देखो यूँ-हि तुम शरद
बिन-गिने
‘कि जितने, अनगिने
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
‘बो’ कला,
कर कोकिला दिया
गुरु-देव शुक्रिया

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