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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 487

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 487

“हाईकू”
तुम भी आना
‘घर’ चाँद-सूरज आते रोजाना ।।स्थापना।।

‘के जन्म-जरा मरण देवें चल,
चढ़ाते जल ।।जलं।।

संताप पाये ‘शम-जल’,
चढ़ाते घिस संदल ।।चन्दनं।।

ले आश, पद अविचल,
चढ़ाते धान धवल ।।अक्षतं।।

काम-बाण ‘कि हों विफल,
चढ़ाते पुष्प नवल ।।पुष्पं।।

करे रोग क्षुद् न विकल,
चढ़ाते चरु पत्तल ।।नैवेद्यं।।

मिथ्यातम न पाये पल,
चढ़ाते दीप चपल ।।दीपं।।

ध्यानाग्नि कर्म जायें जल,
चढ़ाते धूप निर्मल ।।धूपं।।

‘के मोक्ष प्राप्ति प्रयास हो सफल,
चढ़ाते फल ।।फलं।।

शाही आप सा ही ‘कि हो कल,
चढ़ाते द्रव्य सकल ।।अर्घ्यं।।

“हाईकू”
कलि-सत्-जुग से ना कम,
श्रमणों का समागम

जयमाला

चाँद तारों ने झिलमिलाहट
किसी से
तो पाई तुम्हीं से
फूल कलियों ने मुस्कुराहट
पाई तुम्हीं से
नन्हीं चिड़ियों ने चहचहाहट

सबकी परवाह
करने वाले
मुआफ गुनाह
करने वाले
बरगदी छाह करने वाले
सबकी परवाह

नजर दुआ
करने वाले
तलक आसमां
करने वाले
सबका भला करने वाले,
नजर दुआ

फूल-कलियों ने मुस्कुराहट
पाई तुम्हीं से
नन्हीं चिड़ियों ने चहचहाहट
पाई तुम्हीं से
चाँद-तारों ने झिलमिलाहट

।।जयमाला पूर्णार्घं।।

“हाईकू”
करने हाथ कामयाबी,
मुस्कान आपेक चाबी

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