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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 360

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
    पूजन क्रंमाक 360

    =हाईकू=
    आशु जिनके आँसु आ जाते,
    गुरु उनमें आते ।।स्थापना।।

    रख लो भक्तों की श्रृंखला में,
    जल ये, ‘दो गला मैं’ ।।जलं।।

    रख लो हंसों की श्रृंखला में,
    गंध ये, ‘दो गला मैं’ ।।चन्दनं।।

    रख लो शिष्यों की श्रृंखला में,
    सुधाँ ये, ‘दो गला मैं’ ।।अक्षतं।।

    रख लो भद्रों की श्रृंखला में,
    पुष्प ये, ‘दो गला मैं’ ।।पुष्पं।।

    रख लो शिष्टों की श्रृंखला में,
    चरु ये, ‘दो गला मैं’ ।।नैवेद्यं।।

    रख लो बुद्धों की श्रृंखला में,
    दीप ये, ‘दो गला मैं’ ।।दीपं।।

    रख लो सन्तों की श्रृंखला में,
    धूप ये, ‘दो गला मैं’ ।।धूपं।।

    रख लो सींहों की श्रृंखला में,
    फल ये, ‘दो गला मैं’ ।।फलं।।

    रख लो सिद्धों की श्रृंखला में,
    अर्घ्य ये, ‘दो गला मैं’ ।।अर्घ्यं।।

    =हाईकू=
    जिन्दगी पन्ने छोड़े हाँसिये,
    होते गुरु के लिये

    ।। जयमाला।।
    हो जाता हल्का,
    जि गुरु जी, आपकी एक झलक पा
    ‘जी’ हो जाता हल्का,

    एक मुस्कान पा
    आप गुणगान गा
    सर हो जाता हल्का
    असर खो जाता छल का

    आहार-घर, कृपा
    आपका दीदार-पा
    सर हो जाता हल्का
    असर खो जाता छल का
    गुरु जी, आपकी एक झलक पा
    ‘जी’ हो जाता हल्का,

    मन भक्ति रंग रंगा
    आप सत्संग में आ
    सर हो जाता हल्का
    असर खो जाता छल का
    आपकी एक झलक पा
    ‘जी’ हो जाता हल्का,
    ।। जयमाला पूर्णार्घं।।

    =हाईकू=
    बनती आप ही बात,
    थामते ही श्री गुरु हाथ

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