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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 329

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
    पूजन क्रंमाक 329

    गोरी हो या काली हो ।
    तुम्हें प्राण से प्यारी गो ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या |
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।स्थापना।।

    गायें भी सँग आईं हैं।
    कलशें जल सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।जल।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    चन्दन घट सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।चन्दनं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    कण-अक्षत सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।अक्षतं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    चुन प्रसून सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।पुष्पं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    स्रज नेवज सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।नैवेद्यं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    घृत-प्रदीप सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।दीपं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    धूप-नूप सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।धूपं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    फल-जल-थल सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।फलं।।

    गायें भी सँग आई हैं ।
    थाल-दरब सँग लाई हैं ।।
    खेवैय्या गैय्या-नैय्या,
    हैं चाहें हम सब छैय्या ।।अर्घ्यं।।

    ==दोहा==
    हाथ लग चली मात गो,
    सहज सुकूने शाम ।
    संजीवन ए ! बेजुबाँ,
    सविनय तुम्हें प्रणाम ।।

    ।। जयमाला।।

    जय जय हृदय विशाला जय जय ।
    जय जय दीन दयाला जय जय ।।
    जय जय नाज गुशाला जय जय ।
    जय जय आज गुपाला जय जय ।।१।।

    जय जय श्री मति लाला जय जय ।
    जय जय व्रत परिपाला जय जय ।।
    जय जय ध्रुव उजियाला जय जय ।
    जय जय शुभ तिल काला जय जय ।।२।।

    जय जय तारणहारा जय जय ।
    जय जय शरण सहारा जय जय ।।
    जय जय सन्त निराला जय जय ।
    जय जय कन्त शिवाला जय जय ।।३।।

    जय जय साधक आला जय जय ।
    जय जय पसिध तिखाला जय जय ।।
    जय जय दुर्गति टाला जय जय ।
    जय जय ऋज गति वाला जय जय ।।४।।

    जय जय जगत् निहाला जय जय ।
    जय जय चरित हिमाला जय जय ।।
    जय जय मन नव बाला जय जय ।
    जय जय धन ! गुणमाला जय जय ।।५।।

    ।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

    ==दोहा==
    पूजन हम सबसे रही,
    जो उन्नीस-इक्कीस ।
    दे दीजे उसकी क्षमा,
    करके कृपा ऋषीश ।।

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