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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 301

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 301

“हाईकू”
सुना, भागती आती जीत,
आ जोड़ें गुरु से प्रीत ।।स्थापना।।

लाये जल,
‘कि ए ! कवीश
खो जाये फेर ‘छः तीस’ ।।जलं।।

लाये गंध,
‘कि ए ! मुनीश
‘जी’ जाग ले निशि दीस ।।चन्दनं।।

लाये सुधाँ,
‘कि ए ! ऋषीश
खो जाये टेव कपीश ।।अक्षतं।।

लाये पुष्प,
‘कि ए ! शिरीष
खो जाये काम खबीस ।।पुष्पं।।

लाये चरु
‘कि ए ! मनीष
खो जाये नाहक खीस ।।नैवेद्यं।।

लाये दीप
‘कि ए ! अमीश
पा पाये रबर शीश ।।दीपं।।

लाये धूप,
‘कि ए ! गणीश
खो जाये मानसी टीस ।।धूपं।।

लाये फल
‘कि ए ! यतीश
पा जायें पंक्ति-चौबीस ।।फलं।।

लाये अर्घ्य,
‘कि ए ! सतीश
पा पायें आप आशीष ।।अर्घ्यं।।

“हाईकू”
‘भेंटी फूलों को मुस्कान,
कर मेरा भी दो कल्याण’

।। जयमाला।।
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
आपका दर्शन, आपका दर्शन, क्या मिला
‘कि थकन, कह-चली, अल्विदा ।

क्या थकन होती न बेअसर
पा, दरख्ते-छाँव दोपहर
उठता ही न तब प्रशन
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
आपका दर्शन, आपका दर्शन, क्या मिला
‘कि थकन, कह-चली, अल्विदा ।

क्या थकन होती न बेअसर
पा, ग्रीष्म सर ठण्डी लहर
उठता ही न तब प्रशन
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
आपका दर्शन, आपका दर्शन, क्या मिला
‘कि थकन, कह-चली, अल्विदा ।

क्या थकन होती न बेअसर
रखते ही माँ ! गोदी में सर ।
उठता ही न तब प्रशन
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
भगवन् !
ए मेरे भगवन्
आपका दर्शन, आपका दर्शन, क्या मिला
‘कि थकन, कह-चली, अल्विदा ।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
“हाईकू”
मनवा मान हमार,
गुरु-गुण-गान अपार ।।

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