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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 256

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 256

हाईकू

रहनुमा
दो गुमा,
जर्रा न, सारा का सारा गुमाँ ।।स्थापना।।

उदक लाये साथ में,
मेंटो दुख बात-बात में ।।जलं।।

चन्दन लाये साथ में,
भेंटो स्वप्न बात-बात में ।।चन्दनं।।

अक्षत लाये साथ में,
मेंटो मद, बात-बात में ।।अक्षतं।।

कुसुम लाये साथ में,
मेंटो गम बात-बात में ।।पुष्पं।।

पकवाँ लाये साथ में,
मेंटो धिक् ध्याँ बात-बात में ।।नैवेद्यं।।

प्रदीवा लाये साथ में,
भेंटो ‘भी’ ज्ञाँ बात-बात में ।।दीपं।।

सुगन्ध लाये साथ में,
मेंटो द्वन्द बात-बात में ।।धूपं।।

श्रीफल लाये साथ में,
मेंटो छल, बात-बात में ।।फलं।।

अरघ लाये साथ में,
मेंटो अघ बात-बात में ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==

पा गया चारु पंख मोर,
देख लो मेरी भी ओर

जयमाला

पूछो न, यहाँ क्या मिलता है ।
पूछो, न यहाँ क्या मिलता है ।।

सुकूने दिल मिलता है ।
प्रसूने दिल खिलता है ।।
पूछो न, यहाँ क्या मिलता है ।
पूछो, न यहाँ क्या मिलता है ।।

गिला शिकवा गलता है ।
बला ‘धिक्-ध्याँ’ टलता है ।।
पूछो न, यहाँ क्या मिलता है ।
पूछो, न यहाँ क्या मिलता है ।।

विभाव जलन जलता है ।
तनाव मन फिसलता है ।।
पूछो न, यहाँ क्या मिलता है ।
पूछो, न यहाँ क्या मिलता है ।।

अमा गुमाँ पिघलता है ।
हाथ लगती सफलता है ।।
पूछो न, यहाँ क्या मिलता है ।
पूछो, न यहाँ क्या मिलता है ।।
॥ जयमाला पूर्णार्घ्यं ॥

हाईकू

चाहिए और ना,
बस आप, साथ मत छोड़ना

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