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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 80

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रमांक 80

तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।स्थापना।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
क्षीर, भर कलशे लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।जलं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
भावना चन्दन लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।चन्दनं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
अखण्डित अक्षत लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।अक्षतं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
पुष्प वन नन्दन लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।पुष्पं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
चारु चरु षट् रस लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।नेवैद्यं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
खचित मण दीपक लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।दीप॑।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
गंध विध-विध दश लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।धूपं।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
बाग नन्दन फल लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे ।।फल॑।।

मैं तेरी शरण में आया हूँ ।
द्रव्य मन भावन लाया हूँ ।।
लेकर एक यही फरियाद,
‘के तेरी याद बनी रहे ।
मैं कभी कहीं भी रहूँ ।
मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।।
तेरी याद बनी रहे।।अर्घं।।

“दोहा”

प्राणि मात्र से है जिन्हें,
निस्पृह नेह अपार ।
गुरु विद्या सविनय तिन्‍हें,
वन्‍दन बारम्बार ॥

“जयमाला”

नमो नमः, नमो नमः
श्री गुरु विद्या नमो नमः
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।

दया क्षमा बुत ।
श्री मति माँ सुत !
संरक्षक श्रुत ।
रक्षक गोधन,
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।
नमो नमः, नमो नमः
श्री गुरु विद्या नमो नमः
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।

दक्षिण सौरभ ।
भारत गौरव ।
सत् सुन्दर शिव ।
नमतर लोचन,
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।
नमो नमः, नमो नमः
श्री गुरु विद्या नमो नमः
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।

पूरण मंशा ।
नूर अहिंसा ।
भू मत-हंसा ।
संकट मोचन,
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।
नमो नमः, नमो नमः
श्री गुरु विद्या नमो नमः
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण, श्री गुरु विद्या नमोः नमः ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।

“दोहा”

करुणा श्री गुरुदेव की,
जिनपे रहे भदन्त ।
वरवश उनके हाथ में,
आ चाले शिव पन्‍थ

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