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तीर्थंकर चालीसा

लघु-चालीसा -; शीतलनाथ स्वामी

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

शीतलनाथ
लघु चालीसा
=दोहा=
सार्थ नाम ‘रिश्ता’ रखे,
ऐसी ही कब बात ।
एक बार प्रभु हाथ में
देखो देकर हाथ ।।

दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।१।।

हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।२।।

मेंढ़क जन्म विमानों में ।
आया लेख पुराणों में ।।
आया लेख पुराणों में ।
नन्दी राज-घरानों में ।।३।।

दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।४।।

हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।५।।

बदली आगी जल धारा ।
अक्षर लेख वज्र द्वारा ।।
अक्षर लेख वज्र द्वारा ।
बदले नाग सुमन माला ।।६।।

दया बरसात करते तुम ।
नया वर साथ करते तुम ।।
खाली हाथ न लौटाते ।
पन्ने-पन्ने बतलाते ।।७।।

हो तुम कुछ हटके जग में ।
बहती करुणा रग-रग में ।।
होते भक्त आँख मोती ।
देखा आप आँख रोती ।।८।।

चन्दन सब बन्धन टूटे ।
जश अभिलेख अमिट लूटे ।।
जश अभिलेख अमिट लूटे ।
अञ्चन भव बन्धन छूटे ।।९।।

स्वामिन् हूँ मैं भी दुखिया ।
अँखिंयाँ बन चालीं दरिया ।।
सहज निरा’कुल कर लो ना ।
अब दुख-दर्द सहन हो ना ।।१०।।
=दोहा=
नाम न यूँ ही चल पड़े,
देखा जाता काम ।
छू पद रज, छू दाह-भौ,
सार्थक शीतल नाम ।।

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