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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -58

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
देवों का अपना जाता क्या है,
विक्रिया से और रूप ही तो बनाना है
ढ़ेरों ताँता लगाते खड़े रहते होंगे आपकी सेवा में,
और सुनते भी हैं,
आपके आस-पास देवि-देव रहते हैं
क्या आपने कभी उन्हें देखा है ?
यदि हाँ, तो बड़ा अपूर्व होगा वो प्रसंग,
हमें भी सुनाईये ना स्वामिन् !
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
धन्य हैं आप लोग
सुनते ही
चुनते है
पर सुना हुआ शून भी
और देखाहुआ अपून भी
यहाँ माया, हर कहीं
आस-पास देवि-देव रहते तो हैं
लेकिन सामने मेरे,
और उनके देवाधिदेव-देव रहते हैं
और मेरी नजर में तो
देवाधिदेव देव के पैैर के अँगूठे रहते हैं
और देव अनूठे रहते है
उनका वे जानें,
वे मुझे तो न दिखे
और सखे !
प्रसंग तो पर…संग
आ होने निसंग
छूते सत्संग
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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