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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -349

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
बचते बचते भी उसकी उढ़ाई चूनर में
ढ़ेरों दाग जमा हो चालें हैं
और भगवान् अब वापिस उसके पास जाने का समय भी निकट आता जा रहा है
ऐसा कहकर के जोरों से ताने मारता है मन
क्या कहूँ उसे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
कई दाग लगे,
तेरी उड़ाई इस चूनर में

वैसी की वैसी, थी जैसी
न रख सका उतार कर मैं
लेकर आऊँ,
तो अब कौन सा मुँह, तेरे पास
तोड़ जो चुका हूँ हाय राम !
मैं तेरा विश्वास
फिर भी करोगे करुणा
हो दयालु जो तुम
दे दोगे अपनी शरणा
बड़े कृपालु जो तुम
बन सके तो कर देना क्षमा हमें
वैसी की वैसी
थी जैसी
न रख सका उतार कर मैं

कई दाग लगे
तेरी उड़ाई इस चूनर में
वैसी की वैसी, थी जैसी
न रख सका उतार कर मैं

कहूँ तो अब किस मुख कहूँ
कर लो विश्वास फिर के
वैतरणी संसार ये दिखलाऊँगा
अबकी तिर के
फिर भी करोगे करुणा
हो दयालु जो तुम
न छीनोगे मुझसे ये अपने चरणा
बड़े कृपालु हो तुम
बन सके तो कर देना क्षमा हमें
वैसी की वैसी
थी जैसी
न रख सका उतार कर मैं

कई दाग लगे
तेरी उड़ाई इस चूनर में
वैसी की वैसी, थी जैसी
न रख सका उतार कर मैं

सुनो,
परमात्मा में
एक नहीं नेक माँ
कोई अगर माँगने से पहले ही कर देता है क्षमा
तो वो सिर्फ एक माँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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