loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -301

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है
कोई संसार सागर से पार होने का,
आसान सा तरीका हो,
तो कृपया बतला दीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
तुम भीतर आओ
तुुम भी…तर आओ

न एकाध, कई तर गये हैं
जो भीतर गये हैं
क्या बाहिर अपना है
जग जाहिर, सपना है

मोहन धूली है, जादू-टोना है
माया बाहिर की हा ! इक दिन खोना है
दुनिया बड़ी मतलबी
उल्लू सीधा करके,
देखती भी नहीं मुड़-के
जाके हो दूर खड़ी
बन के अजनबी
दुनिया बड़ी मतलबी

क्या बाहिर अपना है
जग जाहिर, सपना है

निकले हरजाई
अपनी ही परछाई
जा के हो दूर खड़ी
नजर अंधेरे की क्या पड़ी
जा के हो हर खड़ी
बन के अजनबी
दुनिया बड़ी मतलबी

क्या बाहिर अपना है
जग जाहिर, सपना है

तुम भीतर आओ
तुुम भी… तर आओ

न एकाध, कई तर गये हैं
जो भीतर गये हैं
क्या बाहिर अपना है
जग जाहिर, सपना है
सुनो
कछुआ भीतर
क…छुआ भीतर
कछु…आ भीतर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point