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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -202

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मन’मानी क्यों करता रहता है,
भले माँ का दीर्घ स्वर नहीं
लेकिन ह्रश्व तो है
माँ की बात क्यों
नहीं मानता है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
देखिये माँ तो माँ है,
जल्दी ही रीझ जाती है
उसने अपने कई बच्चों को,
अपना नाम दे रक्खा है
वह कहाँ तक ध्यान रक्खे
बच्चे तो नजर बचा के,
मिट्टी मुॅंह में ले ही लेते हैं
दीर्घ स्वर होने के बाद भी,
माखी की भी यही कहानी है

हा ! हाय !
कहती रह गई मॉं
माखी मत जाना
श्लेश्मा
सिले…समाँ कह रहा है
फटे समां है
फटे में पाँव मत डालना
रखना याद
हाथ मलने, सिर धुनने की बारदात
और हाँ
वो तो गुर था
गया घुर था
ये न पिघलने वाला
बगुला भगत है
बनती कोशिश नाक राखी
‘री माखी
हा ! हाय ! कर ली ना मनमानी
लो ओंधे मुॅंह धूल चाटी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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