loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -159

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
‘छोटे बाबा के बड़े समोशरण की जय’
यह जयकारा,
आजकल बड़ा सुर्ख़िंयों में छाया हुआ है
लोगों को खूब पसन्द आता है,
और आप हैं भी,
चतुर्थ कालीन चर्चा पालन करने वाले
भावी तीर्थंकर तो है ही,
वर्तमान-वर्धमान भी आप ही हैं,
भगवन् !
जर्रा बतलाईये, ये जयकारा,
आप‌को कैसा लगता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
खूब तेज लगता है
लगता है,
किसी ने जोर से,
तमाचा दे मारा हो, मेरे गाल पर,
किन्तु परन्तु पर,
मुझे तो अंग पूर्व का क्या,
सप्त भंग जो अपूर्व है,
उनका भी ज्ञान नहीं है
सुनते हैं,

ग्यारह अंग,
और नव-पूर्व का ज्ञान होने के बाद,
दशवां पूर्व जो विद्यानुवाद नाम का पूर्व है,
उसका अध्याय खोलते ही,
धावा बोलते जी,
‘क्या आज्ञा है मुझे स्वामिन्’
आ करके
मन्त्रों के अधिष्ठात्री देव और देविंयाँ,
मक्खन-पालिश खूब करते,
लगाते तेल, घी भी कम नहीं,
खूब,
साथ साथ बखूब
अच्छे-अच्छे बच्चे साबित होते है
कोई एकाध सार्थक नाम
‘बच्चा’ कर पाता है,
जिसका नव-जात बालक वत्,
साधु मन से नाता है
अनिरुद्ध बनने निकले,
रुद्रों की यादें शेष आज,
कृपा करिये,
मुझे बना रहने दीजिये
पुरु-देव,
गुरुदेव का, छोटा सा महाराज
ताकि, तीन कम नव कोटि कतार,
लग सके मेरे हाथ इस बार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point