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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -107

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
कभी किसी की बढ़ती को देखकर,
उसे नीचा दिखाने का भाव,
आपके मन में भी आता है, क्या ?
क्योंकि पर प्रशंसा पचाना,
कोई छोटी मोटी नहीं बात ।
होती वो, दूसरी ही कोई बड़ी-छोटी आँत ।
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनो,
जादुई शब्द ‘लकीर’
जैसे-जैसे मिटाई
वैसे-वैसे
और… और… ‘और’ कीमत बढ़ाई
‘र’ हटते ही
‘Lucky’
‘कीर’ हटते ही
कराई ‘लॉ’ पढ़ाई
बिन पसीने बहाई
और क्यों खेना हवा विपरीत दिशा ले
नौका
है ना ‘पाल’-पाल, कर दो ना हवा हवाले
सुनते ‘छोर’
मार रहा ताने
‘के न पा पायेगा तू मुझे…’छोड़’
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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