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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -105

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
कभी आपने ऐसा सपना देखा,
‘कि आप आहार लेने निकलें हों,
सारे गाँव में चौके लगें हों,
लेकिन कहीं भी विधि न मिलने से,
आपको उपाश्रम की ओर,
मुस्कुराते हुऐ लौटना पड़ा हो ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
भाई !
स्वप्न की बात क्या करते हो,
हकीकत में ही मुझ जैसा सन्त
जिसका तीन कम नौ कोटि महन्तों में
सबसे अन्त में आता नम्बर
दो छोड़ उसे
लो मुख मोड़ सखे !
ओर तीर्थंकर
छह महीने उपवास कर
छह महीने उपवास अकाम-निर्जर
बाद पुग्योदय पा
जातिस्मरण कृपा
हो पुलकित रोम-रोम
राजा श्रेयांस और सोम
नवधा भक्ति से पड़गाते
और भरत, बाहुबली दोंनो भैय्या,
विधि मिलाते रह जाते
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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